
Pol Khol News Desk / Neha Verma
बहुत से ऐसे शब्द होते हैं, जिन्हें हम खूब इस्तेमाल करते हैं लेकिन कभी ये नहीं जानने की कोशिश करते कि ये सही भी है या नहीं. कुछ शब्दों को तो हम ज़िंदगी भर गलत ही लिखते हैं. कई बार तो हमने किसी को ऐसा लिखते देखा, तो उसी को सही मान लिया. ऐसे ही एक शब्द को लिखने का कनफ्यूज़न कुछ लोगों को जीवन भर बना रहता है – ‘गयी’ और ‘गई’. आखिर क्या है सही?
हाल ही में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कोरा पर एक यूज़र ने पूछा कि हिंदी के शब्द ‘गयी’ और ‘गई’ में फर्क क्या होता है, जो कुछ लोग इसे ‘गयी’ लिखते हैं, तो कुछ ‘गई’। इसके जवाब में यूज़र्स ने अपनी अलग-अलग राय रखी है. सबके अपने-अपने तर्क थे, जिससे जो तथ्य अजब-गजब नॉलेज के तहत हम आपको इसका जवाब बताएंगे।
क्या वाकई ‘गयी’ और ‘गई’ में है फर्क?
मुद्दे की बात ये है कि ‘गयी’ और ‘गई’ में कुछ फर्क है भी या नहीं? वैसे तो दोनों को ही एक ही क्रिया के लिए इस्तेमाल किया जाता है, सुनने में इसमें कोई अंतर समझ में नहीं आता लेकिन लिखते वक्त भ्रम पैदा हो जाता है। एक यूज़र ने इसे लेकर मानकीकरण हिंदी के तहत श्रुतिमूलक और स्वरात्मक रूप का हवाला दिया है। उन्होंने बताया है कि जिन शब्दों में स्वरात्मक और श्रुतिमूलक दोनों का प्रयोग होता है, वहां पर स्वरात्मक रूप ही इस्तेमाल करते हैं, ऐसे में गयी के बजाय गई सही होगा। वहीं एक यूज़र ने ये भी तर्क दिया कि गयी क्रिया विशेषण शब्द है, जिसे क्रिया के बाद सूचना के तौर पर उपयोग किया जाता है तो गई क्रियात्मक शब्द है, जो स्त्रीलिंग के जाने की सूचना देता है।
सही-गलत का सवाल नहीं
इतने तर्कों के बाद जो चीज़ सामने आई, वो ये है कि दोनों ही शब्द समानार्थी हैं और इन्हें लोग अपनी-अपनी समझ के हिसाब से लिखते हैं। चूंकि इनका अर्थ किसी भी परिस्थिति में बदल नहीं जाता है, ऐसे में इसे दोनों तरह से लिखा जाता है और ये मान्य भी है। गयी और गई ही नहीं इस तरह की कई क्रियाओं में यी और ई को लेकर भ्रम रहता है लेकिन किसी को भी सही या गलत नहीं कहा जा सकता।