
उझी घाटी में स्वर्ग प्रवास से लौटे देवता, बाढ़ को लेकर की भविष्यवाणी
पोल खोल न्यूज़ | कुल्लू
हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू की पर्यटन नगरी मनाली के साथ लगते गोशाल गांव में अब ग्रामीण 42 दिनों के देव प्रतिबंध से मुक्त हो गए हैं। वहीं, देवता ने भी स्वर्ग प्रवास से लौटने के बाद आगामी भविष्य को लेकर भविष्यवाणी की है। जिसमें कहा गया है की घाटी में धार्मिक कार्य तो अधिक होंगे, लेकिन इसके साथ-साथ बाढ़ का भी खतरा बना रहेगा। गोशाल गांव में देवताओं के स्वर्ग प्रवास से आते ही देवालय में बंधी घंटियों को खोल दिया गया और घाटी में बंद पड़े रेडियो व टीवी भी ऑन हो गए। देवताओं ने गुर के माध्यम से मानव जगत के लिए वर्ष 2025 को सुखद बताया और कहा कि यह साल मिला-जुला रहेगा।
स्वर्ग प्रवास से लौटे महर्षि गौतम-महर्षि व्यास व कंचन भाग द्वारा मंदिर में सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में दुनिया भर में होने वाले घटनाक्रम से अवगत करवाया गया। वहीं, अपने आराध्य देवों के स्वर्ग प्रवास से वापस लौटने पर ग्रामीणों और देवता के कारकूनों ने विधिपूर्वक देवताओं का स्वागत किया। देवता के कारकूनों ने देव वाद्य यंत्रों के बीच देव विधि से कार्रवाई शुरू की, जिसमें समस्त कुल्लू घाटी के लोगों ने गोशाला गांव में दस्तक देकर अपनी उत्सुकता प्रकट की। सभी कारकूनों और देवलुओं के देवालय में पहुंचते ही गोशाला गांव का माहौल भक्तिमय हो उठा। वहीं, पूजा-अर्चना के बाद कारकूनों और पुजारियों द्वारा विधिपूर्वक देवता से मृदा लेप (मिट्टा का लेप) को हटाया गया, जिसके बाद देवता के गुर और कारकूनों ने देव विधि को पूरा किया।
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देवता के कारदार हरी ठाकुर ने बताया कि मृदा लेप से हालांकि इस बार कुछ अधिक नहीं निकला, लेकिन बैठर के निकलने से लोग खुश हुए। बैठर के निकलने से धार्मिक कार्य अधिक होंगे। वहीं, देवता की पिंडी से बाल निकलने से लोग चिंतित भो दिखे, देवता की पिंडी से पत्थर के निकलने से बाढ़ का खतरा अधिक है।
जिला कुल्लू देवी देवता कारदार संघ के अध्यक्ष दोत राम ने बताया कि जिला कुल्लू में देवी देवताओं की अपनी मान्यताएं हैं। ऐसे में माघ मास की संक्रांति को उझी घाटी के गोशाल गांव में देवता स्वर्ग प्रवास पर चले गए थे, जिसके चलते लोग ना तो यहां पर ऊंची आवाज में बात कर सकते हैं और ना ही वे रेडियो, टीवी व मोबाइल को चला सकते हैं. इसे ही देव प्रतिबंध कहते हैं। इस देव प्रतिबंध का मुख्य कारण यह है कि देवी-देवता इन दिनों तपस्या में रहते हैं और शोर से उनकी तपस्या में विघ्न पड़ता है। कई जगह पर यह देव प्रतिबंध एक महीना रहता है तो कुछ जगह पर यह प्रतिबंध डेढ़ महीने रहता है। देवी-देवता स्वर्ग प्रवास से लौटने के बाद आगामी समय को लेकर भी भविष्यवाणी करते हैं, उसके बाद ग्रामीण देव प्रतिबंध से मुक्त हो पाते हैं।
फागली उत्सव की धूम
कुल्लू घाटी के आराध्य देव के स्वर्ग प्रवास से लौटने पर ग्रामीण देव प्रतिबंध से मुक्त हो गए हैं। वहीं, इससे गांव में खुशी का माहौल है और ग्रामीण उत्सव मनाने में व्यस्त हो गए हैं। इस दौरान पूर्व पंचायत प्रधान विद्या नेगी, पूर्व प्रधान वेद राम ठाकुर, पूर्व प्रधान प्रताप ठाकुर, पूर्व प्रधान दीना राम ने सभी लोगों को फागली उत्सव की बधाई दी। देवता के स्वर्ग प्रवास से लौटते ही मनाली की उझी घाटी में फागली उत्सव की धूम शुरू हो गई है।