
हिमाचल के सेब उत्पादकों के साथ अन्याय, मोदी सरकार का हिमाचल से सौतेला रवैया निंदनीय: डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा
पोल खोल न्यूज़ | हमीरपुर
हिमाचल प्रदेश के लाखों सेब उत्पादकों की भावनाओं को आहत करते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने अमेरिका से आयातित सेब पर टैरिफ (आयात शुल्क) में कटौती कर दी है। यह निर्णय न केवल हिमाचल की आर्थिकी पर हमला है, बल्कि यहां के मेहनतकश बागबानों की पीठ में छुरा घोंपने जैसा है।
हिमाचल प्रदेश पूरे भारत का लगभग 25% सेब उत्पादन करता है। सेब प्रदेश की रीढ़ है, लाखों परिवारों की आजीविका इससे जुड़ी हुई है। ऐसे समय में जब राज्य प्राकृतिक आपदाओं से कराह रहा है और बागबानों को भारी नुकसान हुआ है, उस पर केंद्र सरकार का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।
पिछली बार 2023 की भीषण आपदा में प्रदेश को ₹12,000 करोड़ का नुकसान हुआ था, लेकिन केंद्र ने सिर्फ ₹2,000 करोड़ की सहायता दी — वह भी तीन वर्षों की देरी से। इस बार फिर से प्रदेश के बागबानों को करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ रहा है, लेकिन अब तक प्रधानमंत्री कार्यालय से एक पाई की भी राहत नहीं दी गई है।
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प्रधानमंत्री मोदी अक्सर हिमाचल को “अपना दूसरा घर” बताते हैं, लेकिन उनके निर्णयों से साफ है कि यह सिर्फ एक राजनीतिक बयानबाज़ी है। यदि वास्तव में हिमाचल उनके दिल के करीब होता, तो सेब उत्पादकों की आज इस तरह उपेक्षा न होती।
यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश के भाजपा सांसद, विधायक और नेता इस विषय पर मौन धारण किए बैठे हैं। क्या उनका दायित्व केवल दिल्ली की चापलूसी तक सीमित रह गया है? हिमाचल के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए भाजपा नेतृत्व की चुप्पी शर्मनाक है।
मैं केंद्र सरकार से मांग करता हूं:
1. अमेरिका से आयातित सेब पर की गई टैरिफ कटौती तुरंत वापस ली जाए।
2. हिमाचल को आपदा राहत के लिए विशेष पैकेज की तत्काल घोषणा की जाए।
3. प्रदेश के बागबानों को सीधी आर्थिक सहायता दी जाए और उनके कर्ज़ माफ किए जाएं।
यदि केंद्र सरकार ने शीघ्र कोई कदम नहीं उठाया, तो कांग्रेस पार्टी प्रदेश के सेब उत्पादकों के साथ मिलकर सड़कों पर उतरकर लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करेगी।
हिमाचल के स्वाभिमान और किसान हितों के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी।