
हर पौधा एक माँ के नाम: राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला टौणी देवी में शुरू हुई हरित जागरूकता की मिसाल
रजनीश शर्मा | हमीरपुर
“एक पेड़ माँ के नाम” केवल एक अभियान नहीं, बल्कि एक संवेदनशील समाज की ओर बढ़ाया गया सशक्त कदम है, जो आने वाले कल को हराभरा और जीवंत बनाने की दिशा में प्रेरणास्त्रोत बन रहा है। इसी के अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण और हरियाली बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला टौणी देवी में चीनी लालटेन के लगभग 110 पौधों का रोपण एवं वितरण किया गया। विद्यालय के प्रधानाचार्य रजनीश रांगड़ा के नेतृत्व में यह अभियान न केवल प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता को उजागर करता है, बल्कि विद्यार्थियों और समुदाय के बीच पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भाव भी जागृत करता है। इन पौधों को विद्यालय परिसर में लगाने के साथ-साथ विद्यार्थियों और शिक्षकों को भी वितरित किया गया है ताकि वे भी इस मिशन का हिस्सा बन सकें।
इस अभियान में मयूर इको क्लब के सदस्य, राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वंयसेवक, और स्काउट-गाइड के विद्यार्थियों ने विशेष रूप से भाग लिया। सभी ने मिलकर विद्यालय परिसर के विभिन्न हिस्सों में पौधारोपण किया, जिनमें स्कूल की सीमा दीवार के किनारे, प्रवेश द्वार के पास, प्रार्थना सभा स्थल और प्रयोगशालाओं के समीप के क्षेत्र शामिल रहे। पौधारोपण के दौरान सभी विद्यार्थियों को यह भी समझाया गया कि पौधों को केवल लगाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उनकी देखभाल और संरक्षण भी उतना ही महत्वपूर्ण है। विद्यालय में यह कार्यक्रम एक उत्सव का रूप ले चुका है शिक्षकगण, विद्यार्थियों और अन्य कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से भाग लेकर यह संदेश दिया कि पर्यावरण संरक्षण केवल एक दिन का कार्य नहीं, बल्कि यह एक सतत प्रक्रिया है। प्रधानाचार्य ने अपने उद्बोधन में सभी को यह प्रेरणा दी कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम एक पौधा अपनी माँ के नाम पर अवश्य लगाना चाहिए, क्योंकि माँ हमें जीवन देती है और पेड़ प्रकृति को जीवन देते हैं।
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यह भावनात्मक जुड़ाव ही हमें पौधों से आत्मिक रूप से जोड़ता है। वहीँ इको क्लब प्रभारी हेम लाल ने कहा कि चीनी लालटेन का पौधा न केवल सुंदर फूलों से सुसज्जित होता है, बल्कि यह पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में भी सहायक होता है। इसकी देखभाल अपेक्षाकृत आसान है और यह गर्मी तथा सर्दी दोनों मौसमों में अनुकूल रहता है। इस पौधे की विशेषता है कि यह जल्दी फैलता है और इसकी शाखाओं से अनेक कलमें तैयार की जा सकती हैं। इसलिए यह पौधा “हरित विरासत” के रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आगे बढ़ाया जा सकता है। विद्यालय के शिक्षकों ने भी विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि ऐसे प्रयासों से हमें न केवल प्रकृति के करीब जाने का अवसर मिलता है, बल्कि यह भावी पीढ़ियों को स्वच्छ, हरित और सुरक्षित पर्यावरण देने की दिशा में भी एक प्रभावशाली कदम होता है।
सभी विद्यार्थियों को पौधे दिए गए और यह निर्देश भी दिया गया कि वे पौधे को अपने घर या खेतों में अपनी मां के साथ रोपित करें और उसकी फोटो इको क्लब मिशन में अपलोड करें और अपना सर्टिफिकेट हासिल करें इसके साथ ही उसकी नियमित देखभाल करें। अगली पर्यावरण सभा में वे अपने पौधे की प्रगति साझा करेंगे। अंत में विद्यालय परिवार ने संकल्प लिया कि आने वाले समय में भी इसी प्रकार प्रकृति से जुड़ी गतिविधियों को निरंतर आयोजित किया जाएगा ताकि छात्रों में संवेदनशीलता, जिम्मेदारी और जागरूकता का विकास हो सके।