
सरकार का फैसला : भवन निर्माण के लिए ज्योलॉजिकल और स्ट्रक्चर डिजाइन की रिपोर्ट अनिवार्य
पोल खोल न्यूज़ | शिमला
हिमाचल प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में अब भवन निर्माण के लिए ज्योलॉजिकल (भूगर्भीय) और स्ट्रक्चर डिजाइन (संरचना डिजाइन) की रिपोर्ट अनिवार्य होगी। शिमला, कुल्लू, धर्मशाला, ऊना, किन्नौर मंडी, सोलन, ऊना, नाहन और चंबा शहर में डेवलपमेंट प्लान तैयार किया जा रहा है। इसमें स्ट्रक्चर डिजाइन और इंजीनियर की रिपोर्ट होना जरूरी है। सरकारी भवनों में यह रिपोर्ट अनिवार्य कर दी गई है। इसी के तहत भवनों का निर्माण किया जा रहा है। अब शहरी क्षेत्रों में भी इस योजना को सिरे चढ़ाया जा रहा है। हिमाचल में प्राकृतिक आपदा के चलते सरकारी और निजी भवनों को नुकसान हो रहा है। सचिवालय में केंद्रीय टीम और हिमाचल अधिकारियों के बीच हुई बैठक में भी इस मामले पर चर्चा हुई है।
हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2018 से प्राकृतिक आपदा कहर बरपा रही है। हर साल दर्जनों मकान ढह रहे हैं। प्रदेश में जानमाल का भारी नुकसान हो रहा है, विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में। इसके चलते टीसीपी विभाग इस योजना को लागू कर रहा है। हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा में जो मकान गिरे या क्षतिग्रस्त हुए हैं, उनका मुख्य कारण स्ट्रक्चर डिजाइन और इंजीनियरों से सलाह न लिया जाना बताया जा रहा है। शिमला प्लानिंग एरिया में तीन से पांच मंजिला तक भवन बनाने को अनुमति दी गई है। जहां पांच मीटर सड़क है, वहां लोग पांच मंजिला तक भवन निर्माण कर सकते हैं। जहां सड़क सुविधा नहीं है, वहां दोमंजिला भवन और एटिक का निर्माण किया जा सकता है।
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टीसीपी मंत्री राजेश धर्माणी ने बताया कि डेवलपमेंट प्लान में इस नियम को लागू किया जा रहा है। सरकारी भवनों में इसे लागू कर दिया गया है। हिमाचल प्रदेश में अब नालों और खड्डों के किनारे उचित दूरी पर भवनों का निर्माण करना होगा। नालों से 5 मीटर, जबकि खड्डों व नदी से 7 मीटर जगह छोड़कर ही भवनों का निर्माण करने के अनुमति दी जा रही है। पहले नालों से 3, जबकि खड्डों और नदी से 5 मीटर की दूरी पर भवनों का निर्माण होता था।