
रजनीश शर्मा | हमीरपुर
युवाओं को देश की रीढ़ कहा जाता है और भारत जैसे देश में जहाँ आबादी का 27% (लगभग 37 करोड़) हिस्सा 30 वर्ष से कम आयु का है, वहां देश के विकास में युवाओं की भागीदारी और बढ़ जाती है लेकिन आज हमारी ये युवा पीढ़ी नशे के चंगुल में फंसती चली जा रही है। देश का कोई भी कोना इस समस्या से अछूता नहीं है। जहाँ तक हमारी देवभूमि की बात है तो हमारा प्रदेश बेशक विकास के मामले में देश के साथ कदमताल कर रहा हो, लेकिन ड्रग एब्यूज के मामले में यह राष्ट्रीय औसत से कहीं आगे निकल गया है।
एक सर्वे के अनुसार तीन प्रकार के नशों ओपिओयड (अफीम, चिट्टा, हेरोइन, ब्राउन शुगर, स्मैक), भांग और शराब के नशे में जहां देश के उपयोगकर्ता कुल आबादी के 0.70 प्रतिशत हैं वहीँ हिमाचल में ये 1.70 प्रतिशत हैं जबकि कुल जनसंख्या में से 0.24 प्रतिशत आबादी नशे की चपेट में है ऐसे में आज सबके सामने यह विकराल प्रश्न खड़ा है कि आखिर इस शांतप्रिय प्रदेश में बच्चे नशा करने के लिए प्रेरित क्यों हो रहे हैं?
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इसका सबसे बड़ा कारण है सामाजिक माहौल। जब बच्चे छोटी उम्र में अपने घर या आस पड़ोस में किसी रिश्तेदार को बीड़ी, सिगरेट या शराब पीते देखते हैं तो उनके में भी जिज्ञासा पैदा होती है कि आखिर इस चीज में ऐसा क्या है? और जब कभी मौका मिलता है तो अपनी उसी जिज्ञासा के कारण बीड़ी सिगरेट या शराब को आजमा लेते हैं और धीरे धीरे ये आदत बन जाती है। एक बार नशे कि आदत लग गई तो फिर इन युवाओं के हाथ बीड़ी सिगरेट से भांग, अफीम एवं चिट्टे की तरफ बढ़ जाते हैं दूसरा बड़ा कारण है स्कूल, कॉलेजों का महौल और संगत। अक्सर देखा गया है कि स्कूल, कॉलेज में ही बहुत से बच्चों को नशे की लत लग रही है। कुछ दोस्त जो पहले से ही नशे के आदी होते हैं, वो अपने दूसरे दोस्तों को भी नशा करने के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए अगर हमें समाज से नशे को खत्म करना है तो पहले खुद को बदलते हुए, पहल हमें ही करनी पड़ेगी । समाज में एक ऐसा माहौल तैयार करना पड़ेगा जहां हम बच्चों को नशे के लिए प्रेरित ना करके उन्हें नशे से दूर रहने के लिए जागरूक कर सकें ।
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ऐसी ही एक पहल प्रोजेक्ट “निश्यय” के अंतर्गत राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला टौणी देवी के स्काउट्स एवं गाइड्स, स्काउट मास्टर सतीश राणा और गाइड कैप्टेन कुसुम लता के मार्गदर्शन में पूरे क्षेत्र में चला रहे हैं जिसमें उन्हें पंचायत प्रतिनिधियों ,समाजसेवियों ,अभिभावकों एवं अन्य लोगों का भरपूर सहयोग मिल रहा है। यह बातें प्रधानाचार्य रजनीश रांगड़ा ने शिक्षा संवाद में उपस्थित अभिभावकों ,शिक्षकों एवं बच्चों से कहीं। उन्होंने कहा कि आज समाज को परिपक्व होने की आवश्यकता है। कुछ पैसों की खातिर एक पूरी पीढ़ी को अंधकार में न धकेलें किसी दूसरे की ज़िन्दगी खराब कर अपनी बेहतर बनाने का कोई औचित्य नहीं है। अगर आप किसी दूसरे के बच्चों को नशा परोस रहे हैं तो कोई आपके बच्चों को भी परोस रहा होगा। इसलिए अगर हम चाहते हैं कि हमारी पीढ़ी नशे से बर्बाद ना हो तो हमें न केवल मिलजुल कर इसकी रोकथाम के लिए प्रयास करना अपितु अपने बच्चों को भी संस्कारवान बनाना होगा।
नशामुक्ति की दिशा में किए जा रहे हमारे प्रयास निश्चित तौर पर स्वच्छ समाज की स्थापना के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगे। इस अवसर पर बच्चों द्वारा कविता पाठ ,वाद विवाद के साथ साथ नव वर्ष में समाज को नशा मुक्त करने, नशा न करने तथा नशा छुडवाने का संकल्प, शपथ के माध्यम से सबको दिलाया गया । इस मौके पर पाठशाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रमन मल्कानिया सहित लगभग 50 अभिभावक एवं शिक्षक उपस्थित रहे।