पोल खोल न्यूज़ डेस्क
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने नए साल पर नया इतिहास रच दिया है। इसरो ने आज एक्स-रे पोलरीमीटर उपग्रह एक्सपोसेट के प्रक्षेपण से नव वर्ष का स्वागत किया। आज सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर इसरो PSLV-C58/XPoSat को लॉन्च कर दिया, जिससे अंतरिक्ष और ब्लैक होल के रहस्य का पता लगाया जा सकेगा।
यह सैटेलाइट एक्स-रे सोर्सेज के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया को स्टडी करने में वैज्ञानिकों की मदद करेगा। इसरो के अनुसार, यह उसका पहला सैटेलाइट है जो एक्स-रे उत्सर्जन का पता लगाएगा और करीब 5 साल तक इसरो को महत्वपूर्ण देगा।
पांच वर्ष है इस मिशन का जीवनकाल
जानकारी के मुताबिक इस मिशन का जीवनकाल करीब पांच वर्ष का होगा। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV)-सी58 रॉकेट अपने 60वें अभियान पर प्रमुख पेलोड ‘XPoSAT’ और 10 अन्य उपग्रह लेकर जाएगा जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा। इस मिशन के माध्यम से अमेरिका के बाद भारत ब्लैक होल (आकाशगंगा) और न्यूट्रॉन सितारों का अध्ययन करने के लिए एक विशेष सैटेलाइट भेजने वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया। यह मिशन करीब पांच साल का होने वाला है।
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इस साल चंद्रमा पर सफलता हासिल करने के बाद, भारत 2024 की शुरुआत ब्रह्मांड और इसके सबसे स्थायी रहस्यों में से एक “ब्लैक होल के बारे में और अधिक समझने के लिए महत्वाकांक्षी अभियान शुरू किया है। भारत एक एडवांस्ड एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेटरी (उन्नत खगोल विज्ञान वेधशाला) लॉन्च करने वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया है। यह विशेष रूप से ब्लैक होल और न्यूट्रॉन स्टार्स के अध्ययन के लिए तैयार किया गया है।
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सफल लॉन्च के बाद इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं। एक जनवरी 2024 को पीएसएलवी का एक और सफल अभियान पूरा हुआ। पीएसएलवी-सी58 ने सैटेलाइट एक्सपोसैट को उसके तय ऑर्बिट में पहुंचा दिया है।
एस सोमनाथ अंतरिक्ष विभाग के सचिव भी हैं। उन्होंने कहा कि सैटेलाइट को जिस ऑर्बिट में स्थापित किया गया है वह एक्सीलेंट ऑर्बिट है और 650 किलोमीटर के सर्कुलर ऑर्बिट से केवल 3 किलोमीटर दूर है और झुकाव 001 डिग्री है जो अच्छी कंडीशन है। इसके अलावा, सौर पैनल को भी सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है।
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मिशन के निदेशक जयकुमार एम. ने कहा कि पीएसएलवी की 60वीं उड़ान की सफलता पर उन्हें बेहद खुशी है। उन्होंने कहा कि आज का सफल लॉन्च इसरो टीम की जबरदस्त कोशिशों से मुमकिन हुआ है। उन्होंने कहा कि नई टेक्नॉलजी इस मिशन को दिलचस्प बनाती है। ‘एक्स-रे पोलरिमीटर’ सैटेलाइट में सिलिकॉन वाली हाई एनर्जी वाली बैटरी लगी है।