पोल खोल न्यूज़ डेस्क
शिमला
सोलन जिले के किसानों को सूखे के साथ कोहरे से भी नुकसान झेलना पड़ रहा है। जिसमें सबसे अधिक नुकसान पानी वाले क्षेत्रों में मटर, गेहूं, लहसुन समेत फलदार छोटे पौधों को हो रहा है।
हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के किसानों को सूखे के साथ कोहरे से भी नुकसान झेलना पड़ रहा है। जिसमें सबसे अधिक नुकसान पानी वाले क्षेत्रों में मटर, गेहूं, लहसुन समेत फलदार छोटे पौधों को हो रहा है। हालांकि अभी कुछ किसानों की ओर से नए फलदार पौधे रोपित किए गए हैं। लेकिन पुराने छोटे पौधों को यह कोहरा खराब कर रहा है। अब बागवानों और किसानों को पौधों को कोहरे से बचाने के लिए चुनौती बन गया है। नौणी विवि विशेषज्ञों के अनुसार सोलन जिला में कोहरा दिसंबर माह से पड़ना शुरू हो जाता है। कोहरा तब पड़ता है, जब आसमान बिल्कुल साफ हो। हवा बिल्कुल न चले और तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से कम हो।
ऐसे पहुंचता है नुकसान
पाला पेड़-पौधों व फसलों को दो तरह से हानि पहुंचाता है। एक, जब पाला पड़ने से पादप कोशिका के अंदर का पानी शून्य तापमान के कारण जम कर बर्फ के क्रिस्टल में बदल जाता है। इस प्रकार जीवद्रव्य के जमने से उसका आयतन बढ़ जाता जिससे कोशिका फट जाती है या मर जाती है। दूसरा, पाला पड़ने से गिरते हुए तापमान के कारण जब दो कोशिकाओं के बीच का पानी जम जाए तो पानी कोशिका के अंदर नहीं जा पाता और जीवद्रव्य पानी की कमी के कारण सिकुड़ कर मर जाता है।
बागवान ऐसे बचाएं अपने पौधे
कृषि-मौसम वैज्ञानिक पर्यावरण विज्ञान विभाग नौणी विवि के विभागाध्यक्ष डॉ. सतीश भारद्वाज ने बताया वर्षा कालीन फलदार छोटे पौधों को पाले से बचाकर रखें। इसके लिए घास सरकंडों या सूखी मक्की के डंठल का पौधों के ऊपर छप्पर बनाएं। यह छप्पर दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर खुला रखें, ताकि पौधों को पर्याप्त धूप मिलती रहे। इसके अलावा सभी फलदार पौधों की हल्की सिंचाई करते रहें और सूखी घास जलाकर धुआं करते रहें।