सेलेब्रिटी की तरह व्यवहार करते हैं केंद्रीय मंत्री : संदीप सांख्यान
बिलासपुर में हॉकी एस्ट्रो टर्फ पर चुप क्यों रहते हैं केंद्रीय मंत्री : संदीप सांख्यान
पोल खोल न्यूज़ डेस्क | हमीरपुर
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता संदीप सांख्यान ने आरोप लगाया है कि भाजपा के नुमांइदें अपने चुनाव क्षेत्र में भी एक सेलिब्रिटी की तरह आते हैं जबकि जिस काम के लिए जनता ने उन्हें अपनीनुमांइदगी दी है, उस पर अक्सर मौन नजर आते हैं। संदीप सांख्यान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण सता सुख भोग रहे केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर अपने संसदीय क्षेत्र में खेलों में भी फिसड्डी साबित हुए हैं। चार बार के सांसद अनुराग ठाकुर को केंद्र में सूचना, प्रसारण, खेल और युवा सेवाएं का प्रभार सौंपा था तो इस संसदीय क्षेत्र में खेल प्रेमियों को एक आस जगी थी, कि अब कम से कम खेलों ही में गुणात्मक विकास होगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
केंद्रीय खेल मंत्री का पसंदीदा खेल क्रिकेट भी बिलासपुर में उस गति से नही उभर पाया, जिसकी उम्मीद थी। राष्ट्रीय खेल हाॅकी संजीवनी के इंतजार में है। जबकि कबड्डी टांग खिंचाई से बाहर नहीं निकल पाई है। लोक सभा चुनाव एक बार फिर दहलीज पर आने वाले हैं और केंद्रीय खेल मंत्री अपनी ही खेलों में मस्त रहे। संदीप सांख्यान ने कहा कि बात यदि बिलासपुर की करें तो इनके कार्यकाल में सभी लों का विकास शून्य रहा है। राष्ट्रीय खेल हाॅकी की दुर्दशा किसी से छुपी नही हैं, बिलासपुर में एस्ट्रो टर्फ बिछाने की घोषणा सिरे नहीं चढ़ पाई। वर्तमानमें आम ग्राउंड की हाॅकी बीते जमाने की बात है, ऐसे में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में स्वयं को साबित करने के लिए एस्ट्रो टर्फ काहोना बहुत जरूरी है।
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बमुश्किल बिलासपुर में हाॅकी खेल का माहौल बन रहा है लेकिन यह नवोदित खिलाड़ी आगे चलकर टर्फ की चुनौतियों का सामना करने में असमर्थ साबित होते हैं। जिसका खामियाजा पूरे प्रदेश को भुगतना पड़ता है। वहीं केंद्रीय खेल मंत्री के खुद के खेल क्रिकेट की बात की जाए तो करीब एक दशक से ज्यादा का समय हो गया है, लुहणू के क्रिकेट मैदान में विकास के नाम पर एक नई इंट नहीं लग पाई है। कांग्रेस सरकार की देन लुहणू क्रिकेेट मैदान सुविधा, एरिया और सुंदरता की दृष्टि से जिलों से कहीं ज्यादा है।
लेकिन इसका सुदुपयोग नहीं हो पाया है। यहां पर लोकल लेवल पर होने वाली प्रतियोगिताओं को लेकर पूर्णतया पाबंदी है, जिससे ग्रामीण प्रतिभाएं नहीं निखर सकती। इक्का दुक्का प्रतियोगिताएं यहां के संचालकों द्वारा करवाई जाती है, जिसमें चुनिंदा युवा की भाग ले पाते हैं। यही कारण हैं कि लंबे समय से बिलासपुर से कोई खिलाड़ी रणजी की चुनौती तक नहीं पहुंच पाया है। यह मैदान खिलाड़ियों को तराशने से ज्यादा प्रशासनिक अधिकारियों के लिए खेल मनोरंजन के काम आ रहा है।