
Rajneesh Sharma / Hamirpur
माता बज्रेश्वरी देवी मंदिर के परिसर में स्थापित भैरव बाबा बहुत बार अपने भक्तों को सीधा संदेश देते हैं। जब-जब उन्हें अपने भक्तों से साक्षात्कार करना होता है, उनकी मूर्ति से पसीना झलकता है। जब भी ऐसा हो समझो, प्रकृति कोई खेल खेलेगी। हाल ही में भी ऐसा ही हुआ तो पंडितों के हाथ पांव फूल गए। बताते हैं कि भैरव की मूर्ति पर अगर पसीना आए तो किसी आपदा के संकेत होते हैं। कोई अनहोनी न हो इसके लिए मंदिर में पाठ-हवन किए गए। पंडित कुलदीप शास्त्री कहते हैं कि समाज में बुराइयां खत्म हों, मंदिर में पूर्णतया शुद्ध हो, पवित्रता बनी रहे, यह तमाम इंतजाम करने होंगे। बताते हैं कि भैरव की मूर्ति को पसीना आया था और भैरव बाबा के वस्त्र बदले। ऐसा करीब दो-तीन दिन हुआ। पंडित कहते हैं कि 70 के दशक में कांगड़ा की एक मार्केट में आग लगी थी तब भैरव बाबा को पसीना आया था। आज फिर बाबा को पसीना आया तो पुजारी वर्ग ही नहीं समाज का तमाम वर्ग सतर्क हो गया। मंदिर में पूजा-पाठ हवन किए गए। पूर्व मंदिर ट्रस्टी एवं वरिष्ठ पुजारी पंडित राम प्रसाद शर्मा कहते हैं कि इसका आभास हुआ तो मंदिर में विशेष पाठ और हवन किए गए, अब सब कुछ सामान्य है।
मंदिर परिसर के भीतर प्रवेश द्वार के बाईं और आगे भैरव की प्राचीन मूर्ति है। कहते हैं कि यह चमत्कारी मूर्ति 5000 वर्ष पुरानी है। कोई भी देवी आपदा दुर्भिक्ष भूकंप महामारी आने के संकेत के रूप में भैरव के नेत्रों से आंसू और शरीर से पसीना निकलना आरंभ हो जाता है अब ऐसा हुआ तो पुजारी वर्ग भी भयभीत हो गया। दरअसल समाज में जो बुराइयां पनप रही हैं वह कोई अच्छा संकेत नहीं है। ऐसे में देवी-देवताओं का गुस्सा आना स्वाभाविक है। खैर पुजारियों ने पूजा-पाठ-हवन-यज्ञ कर देवी-देवताओं के भैरव बाबा के गुस्से को शांत करने का प्रयास किया है। अलबत्ता अगर बुराइयां इसी तरह पनपती रहीं, तो आपदा का सामना करना पड़ सकता है। वर्ष 1905 में कांगड़ा भूकंप का सामना कर चुका है। इसके बाद भी भूकंप के कई झटके कांगड़ा में लगे हैं। प्रकृति से छेड़छाड़ और बुराइयां पनपती हैं, तो आपदाएं आती हैं। लोगों का कहना है कि इसे रोकने के लिए समाज को ही सुधरना होगा। एचडीएम