रजनीश शर्मा । हमीरपुर
हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। देवभूमि का अर्थ है “देवताओं की भूमि”। यहां पर देवी-देवताओं के अनेको मंदिर हैं। ऐसा ही एक मंदिर भगवान शनि देव का है, जो कि जिला हमीरपुर के लंबलू में स्थित है। लंबलू हमीरपुर से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण स्थानीय लोगों के सहयोग से वर्ष 1996 में हुआ था। अब यह मंदिर हिमाचल सरकार के हाथों में है। हमीरपुर प्रशासन पिछले 7 सालों से इस मंदिर की देखरेख कर रहा है। इस मंदिर के अंदर भगवान शनिदेव की काफी बड़ी मूर्ति विद्यमान है। इसके अलावा हनुमान जी की 88 फुट की मूर्ति जो कि पंचमुखी है और भैरव देव जी की भी 31 फुट की मूर्ति स्थापित की गई है। इस मंदिर में लोग तुला दान भी करवाते हैं और नवग्रहों की शांति भी करवाते हैं। यहां पर शनिदेव की काफी मान्यता मानी जाती है और इस धार्मिक स्थल का काफी महत्त्व भी है। दूर दूर व अन्य राज्यों से लोग यहाँ दर्शन करने आते हैं, तथा अपनी मनोकामना पूरी होने पर आते हैं।
ऐसे हुई शनिदेव मंदिर की स्थापना
बता दें कि इस मंदिर के आसपास काफी मोड़ हैं, यहां पर बसों को मोड़ना बहुत मुश्किल होता था। वर्ष 1994 में हिमाचल परिवहन की एक बस यहां मोड़ से गिर गई थी, जिसमें विद्यार्थी टेस्ट देने हमीरपुर जा रहे थे। ब्रेक फेल होने के कारण बस गिर गई। स्थानीय लोगों की सहायता से घायलों को बाहर निकाला गया, जिसमें 4 की मृत्यु हो गई थी। उसके बाद किसी को स्वप्न आया कि यहां पर मंदिर बनाना चाहिए। स्थानीय लोगों के सहयोग से यहां पर खुदाई के समय एक पिंडी मिली, तभी फैसला लिया गया कि यहां पर शनिदेव का मंदिर बनना चाहिए। अब मंदिर का पांच मंजिला भवन देखने में बहुत ही सुंदर लगता है।
88 फीट ऊंची है पंचमुखी हनुमान की मूर्ति
शनिदेव मंदिर के पास 88 फीट ऊंची पंचमुखी हनुमान की मूर्ति स्थापित है। इस मूर्ति के निर्माण पर स्थानीय लोगों के सहयोग से मंदिर कमेटी ने करीब आठ लाख रुपये खर्च किया है। इस स्थान पर बहुत से हादसे हुए हैं, जिस पर स्थानीय लोगों व मंदिर कमेटी के सहयोग से शनिदेव मंदिर के साथ पंचमुखी हनुमान की मूर्ति स्थापित की गई। पंचमुखी हनुमान मंदिर की मूर्ति स्थापित होने के बाद लंबलू मोड़ पर न तो कोई हादसा हुआ न ही कोई अप्रिय घटना।
दूर-दूर से लोग यहां आकर करवाते हैं भंडारे
इस मंदिर में हर शनिवार भंडारे का आयोजन किया जाता है। दूर-दूर से लोग आकर यहां पर भंडारे का आयोजन करवाते हैं और पहले से ही बुकिंग करवा लेते हैं। भंडारे में प्याज, लहसुन का प्रयोग नहीं किया जाता है। हर साल जून या जुलाई के महीने में जेठे शनिवार को भंडारे का आयोजन होता है, जिसमें 250 के करीब लोग यहां पर स्पाटू सोलन से आकर भंडारा करवाते हैं।