डंके की चोट पर : हिमाचल में भाजपा उपचुनावों के बाद कार्यकर्ताओं की तीन श्रेणियों में बंटी … भीतरघाती , निष्क्रिय और अनुशासित कार्यकर्ता
रजनीश शर्मा । हमीरपुर
हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव में जहां भारतीय जनता पार्टी (Himachal BJP) ने बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन उपचुनाव में भाजपा को मनमाफिक परिणाम नहीं मिले । करीब 40 दिनों में 9 सीटों पर हुए उपचुनाव में बागियों की वजह से भाजपा को काफी नुकसान हुआ, लेकिन अब तक पार्टी भीतरघातियों और बागियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाई है. हिमाचल प्रदेश के ऊना (Una BJP Meeting) जिले में पार्टी कार्यसमिति की मीटिंग भी हुई, लेकिन, मीटिंग के बाद बागियों पर कार्रवाई को लेकर भाजपा ने चुप्पी साध ली और इतना कहा कि अब तक रिपोर्ट और शिकायत नहीं मिली है।
भाजपा कार्यकर्ताओं की बनी तीन श्रेणियां
यदि एक कर्मठ भाजपा नेता की बातों पर विश्वास करें तो नौ उपचुनावों के बाद हिमाचल में कार्यकर्ता तीन कैटागिरी में बंट चुके हैं। इन तीनों कैटागिरी के कार्यकर्ताओं के अपने अपने अपने आका भी हैं । इन्ही के इशारे पर अब भविष्य का जोड़ घटाव भी होना शुरू हो चुका है। ये तीन श्रेणियां इस प्रकार से है…….
भीतरघाती कार्यकर्ता : ये वे कार्यकर्ता हैं जिन्होंने धर्मशाला , हमीरपुर और बड़सर में भाजपा के सुधीर शर्मा, आशीष शर्मा और इंदरदत्त लखनपाल की जीत में रोड़ा अटकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ये भीतरघाती भाजपा कार्यकर्ता सुजानपुर, गगरेट, कुटलेहड़, नालागढ़ और लाहुल स्पीति में तो भाजपा उम्मीदवारों को हरवाने में कामयाब हो गए। इनकी लिस्ट तैयार कर कार्यवाही के लिए भेज दी गई है लेकिन अभी एक्शन कोई नहीं हुआ।
निष्क्रिय कार्यकर्त्ता : हिमाचल विधानसभा उपचुनावों में ये वे पूर्व विधायक , पार्टी संगठन के पदाधिकारी और विभिन्न मोर्चों और प्रकोष्टों के लोग थे जो चुनाव प्रचार में कहीं नहीं दिखे। ये ” सोतड़ सांपों ” की तरह सोए रहे और रिजल्ट निकलते ही फिर सक्रिय हो गए।
अनुशासित कार्यकर्ता : ये भाजपा के वे कार्यकर्ता हैं जो जेपी नड्डा के सीधे संपर्क में थे और ऑपरेशन लोटस की कामयाबी के लिए दिन रात एक किए हुए थे। ये कार्यकर्ता अपने मोर्चों से बाहर निकल कर भी एक दूसरे के मोर्चे की टोह ले आते थे और भाजपा कैंडिडेट को समय रहते अलर्ट भी कर देते थे। यही वजह रही कि लक्ष्मी मां की इन पर आपार कृपा बरसती रही।
उल्टे पड़े पूर्व सीएम जयराम के दांव
हिमाचल प्रदेश बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा का गृह राज्य है। ऐसे में इस राज्य में बीजेपी की हार पर काफी चर्चा हुई थी। पिछले महीनों में राज्य में जो भी हुआ। उसके पीछे बीजेपी की सरकार बनने की बात कही गई, लेकिन बीजेपी नेता और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के दमाम दावे गलत साबित हुए। हिमाचल प्रदेश के लोगों ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अलग-अलग माइंडसेट से वोट किए। लोकसभा की चारों सीटें बीजेपी को दीं लेकिन विधानसभा चुनावों में पहले के जनादेश को बरकार रखा और कांग्रेस को अधिक सीटें जिताईं।