
Diksha Thakur| Pol Khol Desk
भरमौर (चंबा)
यूँ तो मंदिर में जाने से सारे डर दूर भाग जाते हैं लेकिन भारत में एक मंदिर ऐसा भी है जहां कोई दर्शन करना तो दूर पांव रखते भी डरते हैं। आश्चर्य की बात है कि लोग इस मंदिर में जाने से कतराते हैं। इस मंदिर के बारे में कई तरह की मान्यताएं प्रचलित है। कहा जाता है कि इस मंदिर के अंदर कोई भी जाने का प्रयास नहीं करता है और ज्यादातर लोग इस मंदिर से दूर रहने में ही भलाई समझते हैं। आखिर इस मंदिर में ऐसा क्या है कि मंदिर के पास से गुजरने पर भी लोग अंदर नहीं जाते। तो आइए जानते है इस मंदिर के बारे-
यमराज का एक पौराणिक महत्व वाला प्राचीन मंदिर हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा जिले के भरमौर में स्थित है। देखने में यह मंदिर किसी घर की तरह दिखाई पड़ता है। बताया जाता है कि पूरी दुनिया में यमराज का यह इकलौता मंदिर है। शास्त्रों में यमराज को मृत्यु का देवता माना गया है। यमराज ही इंसानों की मृत्यु के बाद उनकी आत्मा को स्वर्ग या नर्क लोक भेजते हैं। यमराज के इस काम में चित्रगुप्त उनकी मदद करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में यह एक ऐसा मंदिर है, जहां कोई भी जाना नहीं चाहता है। कहा जाता है कि मंदिर के अंदर जाने में भूतों और पिशाचों को भी डर लगता है।
दरअसल, यह मंदिर मृत्यु के देवता यमराज का है। यही वजह है कि लोग इस मंदिर के पास जाने से भी डरते हैं। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जो यमराज को समर्पित है। लोगों का कहना है कि इस मंदिर को यमराज के लिए ही बनाया गया है, इसलिए इसके अंदर उनके अलावा और कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता है।
हालाँकि इस मंदिर की स्थापना के बारे में किसी को भी सही जानकारी नहीं है। जानकारी है तो बस इतनी कि चंबा रियासत के राजा मेरू वर्मन ने छठी शताब्दी में इस मंदिर की सीढिय़ों का जीर्णोद्धार किया था।
यम मंदिर की खास बातें
मान्यता है कि अप्राकृतिक मौत होने पर यहां पर पिंड दान किए जाते है। साथ ही परिसर में वैतरणी नदी भी है, जहां पर गौ-दान किया जाता है। इसके अलावा धर्मराज मंदिर के भीतर अढ़ाई सौ साल से अखंड धूना भी लगातार जल रहा है। यमराज और असमय मृत्यु के भय को दूर करने के लिए भाई दूज पर इस मंदिर में भक्तों की भीड़ रहती है। ये यमराज के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
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हिमाचल प्रदेश के यम मंदिर में चार द्वार हैं जो कि अदृश्य हैं। मान्यता है कि ये द्वार सोने, चांदी, तांबा और लोहे के बने हैं। गरुड़ पुराण में भी यमराज के दरबार में चार दिशाओं में चार द्वार बताए गए हैं।
यहां मान्यता प्रचलित है यहां जब आत्मा आती है तो सबसे चित्रगुप्त आत्मा को उसके कर्मों के बारे में बताते हैं। इसके बाद चित्रगुप्त आत्मा को यमराज के कमरे में लेकर जाते हैं। इस कमरे को यमराज की कचहरी कहा जाता है और यहां पर आत्मा के उल्टे पांव भी दर्शाए गए हैं। यहीं यमराज ये तय करते हैं कि आत्मा का आगे का सफर कैसा होगा।
चित्रगुप्त का भी है कमरा
इस मंदिर के अंदर एक खाली कमरा है। जिसके बारे में कहा जाता है कि यह चित्रगुप्त का कमरा है। जानकार बताते हैं कि जब किसी व्यक्ति की मौत होती है तो यमदूतों को उसकी आत्मा लाने के लिए भेजा जाता है। इसके बाद आत्मा को सबसे पहले चित्रगुप्त के पास ले जाया जाता है फिर चित्रगुप्त उस आत्मा के कर्मों के हिसाब-किताब के आधार पर तय होता है कि आत्मा को स्वर्ग भेजना है या नर्क। कर्म के आधार पर यहां चार द्वारों में से किसी एक द्वार से आत्मा को आगे भेजा जाता है। जिनके कर्म अच्छे होते हैं, उनकी आत्मा सोने के द्वार से आगे जाती है।