आत्मरक्षा प्रशिक्षण, कौशल के साथ साथ बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में भी सहायक : रजनीश रांगड़ा
रजनीश शर्मा | हमीरपुर
हिमाचल प्रदेश के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला टौणी देवी में आत्मरक्षा के महत्व को समझते हुए बाल विकास विभाग के सौजन्य से एक दस दिवसीय आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस शिविर में सतीश राणा, जो स्कूल में कार्यरत हैं और शितो रिऊ कराटे से ब्लैक बेल्ट धारक हैं, बेटियों के साथ-साथ सभी छात्रों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दे रहे हैं। विद्यालय के प्रधानाचार्य रजनीश रांगड़ा ने इस पहल की सराहना करते हुए बताया कि आत्मरक्षा के क्षेत्र में इस तरह के शिविर छात्रों के आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होते हैं यह हमारे विद्यालय के लिए एक अनूठी पहल है, और इसका आयोजन इसलिए संभव हो पाया क्योंकि हमारे पास सतीश राणा जैसे सक्षम प्रशिक्षक मौजूद हैं।
उन्होंने आगे कहा कि आत्मरक्षा प्रशिक्षण केवल एक कौशल ही नहीं है, बल्कि यह बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में भी योगदान देता है। इस शिविर का उद्देश्य न केवल छात्रों को आत्मरक्षा के प्रति जागरूक करना है, बल्कि समाज में यह संदेश देना भी है कि आत्मरक्षा का ज्ञान हर बच्चे को होना चाहिए। वहीँ बाल विकास परियोजना अधिकारी कुलदीप चौहान ने बताया कि आज के समय में यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि लड़कियों के साथ-साथ लड़कों को भी आत्मरक्षा का प्रशिक्षण मिले, ताकि वे किसी भी अप्रिय स्थिति में खुद की रक्षा कर सकें। इस तरह के आयोजन से छात्रों में आत्मविश्वास और साहस का विकास होता है, जो भविष्य में उन्हें समाज में एक मजबूत और आत्मनिर्भर नागरिक के रूप में स्थापित करने में सहायक होगा।
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शिविर में 144 लड़के और 190 लड़कियां आत्मरक्षा के विभिन्न तकनीकों का अभ्यास कर रहे हैं, जिनमें ताइक्वांडो, आत्मविश्वास और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाने वाले अभ्यास शामिल हैं। सतीश राणा ने बताया कि आत्मरक्षा का सही प्रशिक्षण न केवल किसी आपात स्थिति में सुरक्षा प्रदान करता है बल्कि बच्चों में अनुशासन और मानसिक दृढ़ता भी विकसित करता है। आत्मरक्षा का मतलब केवल शारीरिक बल नहीं है, बल्कि मानसिक संतुलन और आत्मविश्वास का निर्माण करना है।
गौरतलब है कि सतीश राणा के मार्गदर्शन में विद्यालय के कई छात्र-छात्राएँ पहले भी ताइक्वांडो में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कर चुके हैं। उनके मार्गदर्शन में तैयार हुई टीम ने इस वर्ष जिला स्तरीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त की और कई छात्रों ने अपने कौशल से सभी को प्रभावित किया। इसके अतिरिक्त, इस वर्ष तीन छात्रों ने राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने का गौरव प्राप्त किया है। शिविर में आत्मरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान दिया जा रहा है, जैसे – कैसे खतरे की पहचान करें, सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएँ, और सही समय पर प्रतिक्रिया दें। छात्रों को ताइक्वांडो की विशेष तकनीकों, पंचिंग, किकिंग और ग्राउंड फाइटिंग जैसे कौशल सिखाए जा रहे हैं। इसके साथ ही उन्हें सामूहिक और व्यक्तिगत अभ्यास से आत्मविश्वास बढ़ाने के भी तरीके सिखाए जा रहे हैं।
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शिविर में छात्रों की रुचि और उत्साह देखने योग्य है। छात्र और छात्राएँ आत्मरक्षा के विभिन्न तरीके सीखने के लिए उत्सुक हैं और इन अभ्यासों को अपनी दिनचर्या में शामिल कर रहे हैं। इस पहल के माध्यम से, विद्यालय प्रबंधन और बाल विकास विभाग यह संदेश देना चाहते हैं कि आत्मरक्षा का ज्ञान केवल स्कूल तक सीमित नहीं है बल्कि समाज के हर वर्ग में इसको बढ़ावा देना चाहिए।