Pol Khol News Desk
बिना सही परामर्श एंटीबायोटिक दवाइयों का किया जाने वाला उपयोग चिंता का सबब बनता जा रहा है। इंटरनेट के दौर में लोग ऑनलाइन सर्च कर दवाइयों का उपयोग कर रहे हैं। चिकित्सक भी मानते हैं कि बिना डाक्टरी सलाह के एंटीबायोटिक दवाइयों के उपयोग से बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। भारत में एंटीबायोटिक का उपयोग तेजी से बढ़ा है, पिछले एक दशक के दौरान उनके प्रति व्यक्ति उपयोग में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा करवाए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि 50 फीसदी से अधिक लोग बिमार होने पर खुद ही एंटीबायोटिक का उपयोग कर लेते हैं। वाशिंगटन स्थित सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (सीडीईईपी) की रिपोर्ट के अनुसार 2010 और 2020 के बीच कुल उपयोग में प्रतिशत परिवर्तन भी लगभग 48 प्रतिशत रहा है। एंटीबायोटिक के असर भी अलग-अलग होते हैं और ऐसी स्थिति में बिना सलाह की ली जाने वाली ऐसी दवाइयां बिमारी को बढ़ा सकती हैं। जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स दुनिया में सबसे अधिक प्रयोग में लाई जाने वाली दवाएं हैं।
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मुख्यत: निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इन दवाओं का उपयोग पिछले एक दशक में तेजी से बढ़ा है। इस विषय पर लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष नवंबर माह में वल्र्ड एंटी बायोटिक ऐवयरनेस वीक मनाया जाता है। वे लोग जिन पर बहुत सारी दवाइयां बेअसर हो चुकी हैं वे अपनी बीमारियों के जीवाणु फैलाते हैं लिहाजा उनके संपर्क में आने वाले लोग भी उन विषाणुओं से ग्रस्त हो जाते हैं और उन पर भी दवाओं का असर नहीं होता है। चिकित्सक भी मानते हैं कि लोगों को बिना पूछे ही एंटीबायोटिक खाना बंद करना होगा वहीं बिना चिकित्सक की सलाह लिए दवा विक्रेता से उसकी पसंद की दवा लेना भी बंद करना होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ समय पूर्व एंटी बॉयोटिक दवाइयों से संबंधित एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें बताया गया है कि एंटी बॉयोटिक दवाइयों का दुरुपयोग हो रहा है, जिसकी वजह से बीमारियां भयावह होती जा रही हैं।
बिना उचित सलाह के कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए। मरीज को इलाज के दौरान एंटीबायोटिक दवा की पूरी खुराक लेनी चाहिए और एक निर्धारित अवधि तक इनका उपयोग होना चाहिए, अन्यथा बीमारी गंभीर हो जाती है और उस पर एंटी बॉयोटिक का असर कम हो जाता है डा.कर्ण शर्मा, वरिष्ठ चिकित्सक