
टौणी देवी में पूर्व छात्र द्वारा दान स्वरूप कूलर भेंट, विद्यालय-समुदाय सहयोग का प्रेरणादायक उदाहरण
गर्मी में शीतलता का उपहार: पूर्व छात्र की भावभीनी पहल
रजनीश शर्मा | शिमला
स्कूल गोद लेने का कार्यक्रम एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके तहत कोई व्यक्ति या संगठन किसी सरकारी स्कूल को गोद लेता है और उसकी शिक्षा, बुनियादी ढांचे और विकास में मदद करता है इस कार्यक्रम के कई उद्देश्य होते हैं, जैसे कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करना, और स्कूल के विकास में योगदान करना इत्यादि इसी कड़ी में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला (उत्कृष्ट) टौणी देवी हमेशा से अपना विद्यालय कार्यक्रम को जिसमें “मेरा स्कूल, मेरा अभिमान” प्रमुख रूप से शामिल है, को प्रभावशाली ढंग से आगे बढ़ा रहा है। इस पहल का उद्देश्य न केवल विद्यालय की भौतिक स्थिति में सुधार लाना है, बल्कि छात्रों, शिक्षकों और समुदाय के बीच भावनात्मक जुड़ाव को भी प्रोत्साहित करना है। शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार और विद्यार्थियों को अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने की दिशा में विद्यालय प्रशासन, शिक्षकगण, छात्र एवं समुदाय एक साथ मिलकर प्रयासरत हैं।
इसी कड़ी में एक अत्यंत प्रेरणादायक और सराहनीय पहल देखने को मिली जब गांव बारीं के जगत राम ने विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के लिए गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए कूलर दान दिया। जगत राम, जोकि वर्ष 1972 में इसी विद्यालय के छात्र रहे हैं, ने यह योगदान अपने दिवंगत बड़े भाई हरु राम उर्फ़ हरदेव की स्मृति में किया। उनका यह भावुक और सामाजिक दृष्टि से जागरूक कदम न केवल विद्यालय के छात्रों के लिए सुविधा प्रदान करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बनेगा। इस अवसर पर आयोजित एक संक्षिप्त कार्यक्रम में विद्यालय प्रधानाचार्य राजनीश रांगड़ा ने जगत राम का हार्दिक स्वागत किया और उनके इस योगदान के लिए आभार व्यक्त किया। प्रधानाचार्य ने अपने वक्तव्य में कहा कि विद्यालय की दीवारें सिर्फ ईंट-पत्थर से नहीं, बल्कि ऐसे ही समर्पित और संवेदनशील पूर्व छात्रों के योगदान से मजबूत होती हैं।
ये भी पढ़ें: साढ़े तीन किमी लंबा होगा पंडोह बाईपास, दो बड़े पुल भी प्रस्तावित
जगत राम का यह योगदान न केवल भौतिक संसाधनों में वृद्धि है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि समाज के वरिष्ठ सदस्य शिक्षा की महत्ता को समझते हैं और आगे आकर विद्यालय की उन्नति में सहयोग करना अपना दायित्व समझते हैं। जब पूर्व छात्र विद्यालय की उन्नति में सहभागी बनते हैं, तो छात्रों में गर्व, कृतज्ञता और सेवा भावना स्वतः विकसित होती है। उन्होंने बताया कि विद्यालय इस अभियान के तहत एक पूर्व छात्र मंच भी बना रहा है ताकि सभी भूतपूर्व विद्यार्थी एक साझा मंच से जुड़े रहें और विद्यालय के विकास में सहभागी बनें। कार्यक्रम में विद्यालय के सभी शिक्षक, छात्र और स्थानीय अभिभावक उपस्थित रहे। छात्रों ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह कूलर गर्मी में उन्हें राहत तो देगा ही, साथ ही यह उन्हें यह भी सिखाएगा कि समाज सेवा का भाव कितना आवश्यक है। विद्यालय के शिक्षकगणों ने इसे विद्यार्थियों में जीवन मूल्यों और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को जागृत करने वाला क्षण बताया।
वहीँ जगत राम का मन्ना है कि “विद्यालय मेरा दूसरा घर रहा है। आज जो कुछ भी मैं हूँ, उसकी नींव यहीं पड़ी थी। भाई की स्मृति में यह छोटा-सा प्रयास है ताकि आने वाले छात्र भी बेहतर सुविधाओं में पढ़ सकें।” उन्होंने अन्य पूर्व छात्रों से भी आह्वान किया कि वे अपने-अपने स्तर पर विद्यालय से जुड़ें और जो भी संभव हो, उस रूप में सहयोग प्रदान करें। समाज और विद्यालय के बीच इस तरह के जुड़ाव न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाते हैं, बल्कि बच्चों में सामूहिकता, सेवा भावना और मूल्य आधारित शिक्षा की नींव भी रखते हैं। पाठशाला न केवल शैक्षणिक उपलब्धियों की ओर अग्रसर है, बल्कि सामाजिक सहभागिता के माध्यम से एक आदर्श विद्यालय के रूप में उभर रही है और यह घटना इस बात का प्रमाण है कि जब पूर्व छात्र और समाज मिलकर कार्य करते हैं, तो शिक्षा की तस्वीर और तक़दीर दोनों बदली जा सकती हैं।