
हाईकोर्ट : अनुबंध कर्मियों को साल 2016 से नियमितीकरण के वास्तविक लाभ देने के आदेश
पोल खोल न्यूज़ | शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अनुबंध कर्मचारियों को नियमितीकरण का वास्तविक लाभ देने का अहम फैसला सुनाया है। वहीं, कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि याचिकाकर्ताओं को वर्ष 2016 से ही सभी वास्तविक लाभ प्रदान किए जाएं। उन्होंने 9,600 घंटे की सेवा पूरी कर ली थी और वे नियमित सरकारी अनुबंध पर लिए जाने के पात्र बन चुके थे। यह आदेश न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की अदालत ने दिया। आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि प्रक्रिया को चार हफ्ते के भीतर पूरा किया जाए।
बताते चलें कि याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई थी कि उन्होंने वर्ष 2016 में 9,600 घंटे की सेवा पूरी कर ली थी, लेकिन फिर भी उनकी सेवाएं नियमित अनुबंध पर नहीं ली गईं। इसके विपरीत, 13 सितंबर 2022 में एक आदेश के जरिये केवल नोशनल आधार पर उन्हें लाभ दिए गए, लेकिन ये लाभ नियमितीकरण से नहीं दिए गए। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं की कोई गलती नहीं थी, बल्कि देरी प्रशासनिक अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण हुई। अदालत ने कहा कि उन्हें बिना किसी दोष के लाभ से वंचित किया गया और अधिकारियों की निष्क्रियता के लिए वे जिम्मेदार नहीं ठहराए जा सकते।
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यह मामला कुलदीप कुमार एवं अन्य कर्मचारियों से संबंधित था, जिन्होंने साल 2010- 2011 के दौरान तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक और औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग में स्वीपर और चौकीदार के रूप में कार्य करना शुरू किया था। वह इंस्टीट्यूट मैनेजमेंट कमेटी के तहत कार्यरत थे। राज्य सरकार ने 3 अक्तूबर 2015 को एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें 31 जुलाई 2015 तक 7 साल या 9600 घंटे की सेवा पूरी कर चुके कर्मचारियों को नियमित अनुबंध पर लिए जाने का प्रावधान था। याचिकाकर्ताओं को आरटीआई से जानकारी मिली कि 2016-17 में चपरासी और चौकीदार के 137 पद रिक्त थे, इसके बावजूद उन्हें समायोजित नहीं किया गया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।