
टौणी देवी के स्काउट्स व गाइड्स ने दिखाया प्रकृति के प्रति प्रेम
रजनीश शर्मा | हमीरपुर
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला टौणी देवी के स्काउट्स और गाइड्स ने विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम “एक पेड़ माँ के नाम” के अंतर्गत एक भावनात्मक और प्रेरणादायक पौधारोपण अभियान चलाया। गाइड कैप्टेन कुसुम लता और स्काउट मास्टर राजेश के मार्गदर्शन में संचालित इस अभियान में विद्यार्थियों ने विद्यालय परिसर में अपनी माताओं के नाम पर पौधे लगाकर न केवल प्रकृति से आत्मिक जुड़ाव दर्शाया, बल्कि समाज को एक गहरा संदेश भी दिया कि माँ और प्रकृति दोनों जीवन की जननी हैं और दोनों की रक्षा करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। प्रधानाचार्य रजनीश रांगड़ा ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य केवल वृक्षारोपण तक सीमित नहीं था, बल्कि यह छात्रों के हृदय में पर्यावरण संरक्षण की चेतना और मातृत्व के प्रति सम्मान को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास था। स्काउट्स व गाइड्स ने इस भावनात्मक पहल को पूरे समर्पण और संवेदनशीलता के साथ अपनाया।
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विद्यालय के स्काउट्स गाइड का कहना है कि उन्होंने अपनी माँ के नाम पर घर में भी पौधा लगाया है माँ जिस तरह हमें बिना शर्त सुरक्षा देती हैं, उसी तरह पेड़ भी हमें बिना मांगे छाया, वायु और जीवन देते हैं। इसलिए पेड़ लगाना केवल कर्तव्य नहीं, माँ के प्रति सम्मान भी है। स्काउट्स-गाइड्स का यह अभियान उत्साह, अनुशासन और उद्देश्य से भरा हुआ रहा। बच्चों ने न केवल पौधे लगाए, बल्कि उनके साथ भावनात्मक जुड़ाव भी दर्शाया। कुछ विद्यार्थियों ने उन पौधों की नियमित देखभाल का संकल्प भी लिया, जो उन्होंने अपने माता-पिता के नाम समर्पित किए थे। यह कार्यक्रम स्काउटिंग की मूल भावना कर्तव्यपरायणता, सेवा और प्रकृति प्रेम — का जीवंत उदाहरण बना। स्काउट्स व गाइड्स की यह पहल बताती है कि यदि युवावर्ग भावनात्मक जुड़ाव के साथ प्रकृति से नाता जोड़ ले, तो पर्यावरण संरक्षण केवल नारा नहीं, एक जीवनशैली बन सकता है। प्रधानाचार्य ने स्काउट्स-गाइड्स की इस सक्रिय भागीदारी की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह अभियान विद्यार्थियों के व्यक्तित्व निर्माण, नेतृत्व विकास और सामाजिक चेतना को सशक्त बनाने वाला सिद्ध होगा।
उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि इस प्रकार की भावनात्मक गतिविधियाँ भविष्य में भी विद्यालय परिवार की पहचान बनेंगी। यह पहल एक संदेश है कि जब स्काउट्स और गाइड्स जैसी युवा शक्तियाँ प्रकृति और ममता के प्रति समर्पण भाव से आगे आती हैं, तो पर्यावरण संरक्षण एक आंदोलन नहीं, एक संस्कार बन जाता है। इस अवसर पर नारा लेखन और पेंटिंग प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं, जिनमें विद्यार्थियों ने पर्यावरण संरक्षण पर अपनी सृजनात्मकता और भावनाओं का अद्भुत समन्वय प्रस्तुत किया। नारा लेखन प्रतियोगिता में प्रथम प्रज्ञान,द्वितीय अक्षिता,तृतीय परिणिति जबकि पेंटिंग प्रतियोगिता में प्रथम चेतना ,द्वितीय प्रियांशु और तृतीय स्थान पर प्रियांजली रही।