
आईजीएमसी शिमला में बुजुर्ग महिला की मौत पर हंगामा, अस्पताल प्रबंधन पर महिला के बेटे ने लगाए लापरवाही बरतने के आरोप
पोल खोल न्यूज़ | शिमला
आईजीएमसी शिमला में शुक्रवार सुबह एक बुजुर्ग महिला की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई। महिला के बेटे लीलाधर चौहान ने डॉक्टरों पर गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। साथ ही मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से इस घटना पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। वहीं अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों को गलत बताया है।
बता दें कि 72 वर्षीय सेवदासी को आज सुबह मेडिकल कॉलेज नेरचौक से आईजीएमसी शिमला रेफर किया था। लीलाधर के अनुसार वह अपनी मां को लेकर सुबह करीब 5 बजे आईजीएमसी पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाया कि इमरजेंसी विभाग में समय पर प्रवेश नहीं दिया गया और लगभग एक घंटे तक परिवार को अस्पताल के बाहर भटकना पड़ा। लीलाधर का कहना है कि इमरजेंसी में भर्ती होने के बाद भी उनकी मां को खाली ऑक्सीजन सिलिंडर दिया गया। उन्होंने दावा किया कि जिन डॉक्टरों को उनकी मां को देखना था, वह मौके पर मौजूद रहने के बावजूद लापरवाही कर रहे थे। इस बीच लीलाधर ने फेसबुक पर लाइव वीडियो बनाकर घटना की जानकारी दी। आरोप है कि वीडियो वायरल होने के बाद ही उपचार शुरू किया गया लेकिन तब तक उनकी मां की हालत गंभीर हो चुकी थी और बाद में मौत हो गई।
लीलाधर ने वीडियो में मुख्यमंत्री से गुहार लगाई कि आईजीएमसी प्रंबधन और जिम्मेदार डॉक्टरों पर कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी में अगर समय पर उपचार नहीं मिलेगा तो आम मरीजों के पास विकल्प ही नहीं बचता है। इसके अलावा रवि कुमार सहित कई समाज सेवकों ने भी इस मामले की जांच और कार्यवाही की मांग की है।
वहीं, आईजीएमसी के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. राहुल राव ने बताया कि सेवदासी को सुबह 5:33 बजे इमरजेंसी में भर्ती किया था, उन्हें नेरचौक मेडिकल कॉलेज से गंभीर हालत में रेफर किया था। इनके लिवर और स्पलीन (पेट के ऊपरी बाएं हिस्से में स्थित एक अंग) में सूजन थी। महिला ब्लड कैंसर से पीड़ित थीं और उन्हें हार्ट संबंधी समस्या भी थी। डॉ. राव के अनुसार अस्पताल पहुंचते ही सभी आवश्यक जांचें की गईं और उपचार किया था। लेकिन हालत लगातार बिगड़ती गई और हृदयघात (हार्ट अटैक) से सुबह 7:58 बजे बुजुर्ग की मौत हो गई।
बता दें कि आईजीएमसी शिमला की इमरजेंसी सेवाओं को लेकर पहले भी कई शिकायतें आ चुकी हैं। हाल ही में मरीजों के परिजनों ने आरोप लगाया था कि अस्पताल की इमरजेंसी में टेस्ट समय पर नहीं होते। रिपोर्ट आने में कई घंटे लग जाते हैं और स्ट्रेचर तथा बेड की भारी कमी है। कई मरीजों ने यह भी शिकायत की थी कि डॉक्टर राउंड पर समय से नहीं आते और परिजनों को निजी लैब का सहारा लेना पड़ता है।