वीरभद्र सिंह की दूरदर्शी सोच ने कांगड़ा, हमीरपुर , ऊना , चंबा के लोगों को पहुंचाया सरकार के नजदीक
रजनीश शर्मा । हमीरपुर
बेशक धर्मशाला में विंटर सेशन पर 4 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च आएगा, 320 अधिकारी-कर्मचारी तपोवन में गाड़ियों में मूवमेंट तो कुछ अधिकारी हेलिकॉप्टर से तपोवन पहुंचे हैं लेकिन फिर भी कांगड़ा, हमीरपुर , ऊना , चंबा के लोगों को सरकार के नजदीक पहुंचने का मौका मिलता है। शिमला से करीब 236 किलोमीटर दूर धर्मशाला के तपोवन में विधानसभा सत्र करवाना किसी चुनौती से कम नहीं है ।
लाव-लश्कर के साथ तपोपन गई सरकार अब अगले पांच-छह दिन तक यहीं रुकेगी। इनके ठहरने के लिए धर्मशाला में दो दर्जन से ज्यादा होटलों में खास इंतजाम किए गए हैं। स्टेट सेक्रेट्रिएट शिमला से मुख्य सचिव सहित करीब 18 IAS, विधानसभा से दो दर्जन से ज्यादा अधिकारी कर्मचारी, लगभग 30 विभिन्न विभागों-बोर्ड और निगमों के विभागाध्यक्ष भी इस सत्र के लिए धर्मशाला में हैं।
कांगड़ा, चंबा के लोगों को फायदा
इस सारी कवायद पर बेशक चार से पांच करोड़ अतिरिक्त खर्च आता है। मगर, इसका फायदा प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा के लोगों को होता है। कांगड़ा के लोग आसानी से सरकार के समक्ष सत्र के दौरान अपनी आवाज उठा पाते हैं, क्योंकि कांगड़ा से शिमला पहुंचना हर व्यक्ति के लिए आसान नहीं होता।
यही नहीं दूर दराज के चंबा जिला, ऊना और हमीरपुर के लोगों के लिए भी कांगड़ा आना आसान हो जाता है। लिहाजा इस कवायद का इन जिलों के लोगों को फायदा होता है।
1994 में शुरू हुआ था सरकार का शीतकालीन प्रवास
दूरियां कम करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 1994 में शीतकालीन प्रवास की परंपरा शुरू की थी। शीतकालीन प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री सहित कई मंत्री और कुछ अधिकारी भी शीतकालीन प्रवास पर जाकर एक सप्ताह तक कांगड़ा में रुकते हैं और लोगों की समस्याओं का निपटारा करते हैं।
दिसंबर 2005 में पहली बार शिमला से बाहर शीतकालीन सत्र
दरअसल, प्रदेश की राजधानी शिमला से बाहर शीतकालीन सत्र की शुरुआत दिसंबर 2005 में हुई थी। तब से हर साल सरकार शीतकालीन सत्र के लिए तपोवन धर्मशाला जाती है। तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इसकी शुरुआत अपर व लोअर हिमाचल की पॉलिटिक्स खत्म करने के दावे के साथ की थी।
हमीरपुर के हमीर होटल की बढ़ती है आमदनी
इस दौरान करीब एक सप्ताह तक शिमला धर्मशाला के बीच दिन रात मूवमेंट रहती है। अधिकारी, कर्मचारी, फरियादी और डेपुटेशन लेकर जाने वाले संघ, संगठन , समितियां हमीरपुर होते हुए धर्मशाला पहुंचते हैं। हिमाचल पर्यटन निगम का होटल हमीर इन दिनों खूब कमाई करता है। शिमला धर्मशाला के बीच यह आधी दूरी पर स्थित खूबसूरत रेस्टोरेंट वाला होटल बरबस अपनी ओर आकर्षित कर लेता है।
धर्मशाला में सचिवालय में ही बैठे कांगड़ा, चंबा, ऊना के मंत्री
शीतकालीन प्रवास तभी कारगर सिद्ध होगा जब सर्दियों के दिसंबर और जनवरी माह में कांगड़ा, चंबा, ऊना जिला से बने मंत्री धर्मशाला सचिवालय में ही बैठे। इस दौरान सीएम भी इन जिलों का दौरा कर विकास की गति को तेज करें । शेष 10 माह शिमला सचिवालय से ही सरकार चले। धर्मशाला में करोड़ों रुपए की बिल्डिंग्स बनाने और शीतकालीन प्रवास पर होने वाले खर्च की भरपाई लोगों को सुविधा मिलने पर ही संभव है।