
Diksha Thakur | Pol Khol News Desk
भागसूनाग मंदिर/ धर्मशाला (कांगड़ा)
हिमाचल प्रदेश में ऐसे कई अद्भुत, खूबसूरत और अनसुनी जगहें मौजूद हैं जहां भारतीय सैलानी घूमने के बाद जन्नत की तरह अनुभव करते हैं। आज हम आपको हिमाचल में स्थित एक मशहूर मंदिर के बारे में बताने वाले हैं। इस मंदिर के बारे में काफी कम लोग जानते हैं। इस मंदिर की खूबूसूरती का अंदाजा लगाना काफी मुश्किल है। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में स्थित भागसूनाग मंदिर काफी लोकप्रिय है। इस मंदिर के नाम से लेकर इसका इतिहास भी काफी खास है। ऐसे में आज हम आपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें बताने वाले हैं।
बता दें कि भागसूनाग मंदिर के साथ ही आपको यहां भागसूनाग वाटरफॉल भी देखने को मिलता है। यहां सालों भर सैलानी आते रहते हैं। ऐसे में कई लोग इस जगह के महत्व के बारे में नहीं जानते हैं। मैक्लोडगंज से भागसु शहर सिर्फ 3 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है। भागसु शहर में जो भी पर्यटक आता है वह भागसुनाग मंदिर घूमे बिना यहां से नहीं जाता है। शिव जी का यह मंदिर बहुत प्राचीन है और हर साल यहां भक्तों का भारी जमावड़ा लगता है।
मंदिर का नाम क्यों रखा गया भागसू
कहा जाता है कि दैत्य का नाम भागसू था और नाग देवता से दैत्य ने वरदान लिया था कि उसका नाम श्रद्धालु पहले लें, इसी वजह से दैत्य भागसू का नाम पहले आता है और नाग का बाद में लिया जाता है। ऐसे में इस स्थान का नाम भागसूनाग रखा गया।
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द्वापर युग से जुड़ा है किस्सा
द्वापर युग के मध्यकाल में दैत्यों के राजा भागसू की राजधानी अजमेर देश में थी। उसके राज्य में बहुत दिनों से पानी न बरसने के कारण उसकी प्रजा के प्रमुखों ने उठकर अपने राजा भागसू से प्रार्थना की कि आप पानी का प्रबंध करें या हम इस देश को छोड़कर अन्य देश में चले जाएंगे। दैत्य राज भागसू ने प्रजा प्रमुखों को आश्वासन दिया और स्वयं उठकर पानी की तलाश में निकल पड़े भागसू दैत्य मायावी होने के कारण दो ही दिनों में नाग डल के पास पहुंच गया। नाग डल पहाड़ की चोटी पर 18 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। नाग डल में पानी काफी गहरा है तथा दूर-दूर तक फैला है। लेकिन दैत्य भागसू ने अपनी मायावी शक्ति के चलते नाग डल का सारा पानी कमंडल में भर लिया व स्वयं विश्राम करने लगा।
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भागसू का किसके साथ हुआ था युद्ध
सायंकाल जब नाग देवता भ्रमण करते हुए अपने डल में पहुँचे तो उन्होंने देखा तो पाया कि उनका डल सूखा पड़ा है। अपनी शक्ति से दैत्य भागसू के पद चिन्हों को देखते हुए नाग देवता उस स्थान पर पहुंच गए जिस स्थान पर भागसू दैत्य विश्राम कर रहा था। उस दौरान दैत्य भागसू नाग के बीच काफी युद्ध युद्ध देवता ने भागसू को पराजित कर दिया। लेकिन युद्ध के दौरान कमंडल जल धरती पर गिर गया सूखा नाग डल फिर भर गया। पानी का एक चश्मा आजकल भागसू नाग मंदिर में चल रहा है। जहां पर लोग स्नान करते हैं।
दैत्य भागसू ने लिया था वर
दैत्य भागसू ने मरते समय नाग देवता की काफी स्तुति की इस पर नाग देवता ने प्रसन्न होकर कहा कि दैत्य तुम्हारी इच्छा वर मांगो। दैत्य भागसू ने नाग देवता से कहा कि मेरा भी नाम विश्व विख्यात हो और मेरे देश में भी जल हो जाए। नाग देवता ने कहा कि इस स्थान के नाम पर आने वाले पहले तुम्हारा नाम लेने के बाद ही मेरा नाम लेंगे। आज से इस स्थान को भागसू नाग के स्थान से जाना जाएगा।
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भागसूनाग मंदिर की स्थापना
कलयुग के प्रवेश में यहां धर्म चंद राजा राज्य करते थे, उस वक्त भगवान शंकर भागेश्वर ने उन्हें स्वपन में कहा कि नाग देवता के पवित्र जल की स्थापना यहां होनी है। राजा ने स्वपन के अनुसार भागसू नाग मंदिर की स्थापना 5080 वर्ष पहले की। इस पवित्र स्थान में स्नान करने के लिए दूर-दूर से यहां भक्त पहुंचते साधु संतों के लिए यहां हर रोज लंगर लगाया जाता है। अब इस स्थान को नाग कहा जाता है। यहां आने वाले लोग भागसू नाग डल के पानी में डुबकी लगाते हैं।
अब इस स्थान में स्नान के लिए बढ़िया तालाब भी बनाया गया। वर्तमान समय में मंदिर के विकास व श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जिला प्रशासन ने मंदिरको अपने अधीन ले लिया अब मंदिर को और ज्यादा विकसित किए जाने के प्रयास शुरू हुए हैं। देश व विदेश से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए बकायदा यहां लंगर भी लगाया जाता है।
ऐसे पहुंचें मैक्लोडगंज
हवाई मार्ग : मैकलोडगंज का नजदीकी हवाई अड्डा गग्गल हवाई अड्डा है। वह कुछ एयरलाइनों की सीमित उड़ानों से जुड़ा हुआ है। उसके अलावा दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, मैकलोडगंज के पास का प्रमुख हवाई अड्डा है। वहा से पर्यटक टैक्सी या बसों से बहुत आसानी से मैक्लोडगंज पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग : मैक्लोडगंज का नजदीकी जंक्शन पठानकोट रेलवे स्टेशन है। वह 90 किमी दूर और भारत के कई प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। मैक्लोडगंज जाने वाले पर्यटक दिल्ली और जम्मू के बीच चलने वाली ट्रेनों से जा सकते है। उस रास्ते पर कई एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेन भी चलती रहती है। स्टेशन से टैक्सी या बसों से मैक्लोडगंज पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग : मैकलोडगंज जाने के लिए राज्य सरकार एवं साथ साथ कई निजी बस भी उपलब्ध है। जिसकी सहायता से आप जा सकते है। मैकलोडगंज भारत के बड़े शहरों जैसे धर्मशाला, दिल्ली और चंडीगढ़ से बहुत अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। मैकलोडगंज बस स्टैंड से कस्बे में कहीं जाने के लिए पर्यटक टैक्सी किराए पर ले सकते है।