Diksha Thakur | Pol Khol News Desk
श्री नैना देवी मंदिर / बिलासपुर
श्री नैना देवी का मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के बिलासपुर जिले में एक पहाड़ी पर स्थित है। आपको बता दें यह मंदिर समुद्र तल से 1219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जिसका निर्माण राजा बीर चंद ने 8 वीं शताब्दी के दौरान करवाया था। यह मंदिर निर्माण के बाद कई लोककथाओं के लिए जाना जाता है और आज पर्यटकों और तीर्थयात्रियों द्वारा बहुत पवित्र माना जाता है। इस मंदिर में नियमित रूप में पर्यटकों की भीड़ बनी रहती है। नैना देवी मंदिर के आसपास कई रहस्यमय लोक कथाएँ हैं, जो पर्यटकों को यात्रा करने के लिए आकर्षित करती हैं।
श्री नैना देवी एक त्रिकोणीय पहाड़ी पर बना हुआ है और इसको माता सती के 52 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के सभी प्रमुख त्योहारों को मंदिर में बड़े जोश के साथ मनाया जाता है, जिससे यह मंदिर साल भर के उत्सवों से भरा हुआ होता है। अगर आप इस मंदिर के इतिहास के बारे में यह इसके पास के पर्यटन स्थलों के बारे में जानकर चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें, इसमें हम आपको श्री नैना देवी जी मंदिर के बारे में पूरी जानकारी दे रहें हैं।
नैना देवी मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
हमें मालूम ही है कि पूरे भारतवर्ष में कुल 51 शक्तिपीठ हैं जिनमें से माता नैना देवी का यह मंदिर भी एक हैं। इन सभी 51 शक्तिपीठों की उत्पत्ति की कथा भी एक है।
पौराणिक धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शंकर के ससुर यानी की माता सती के पिता जिनका नाम दक्ष था। उन्होंने एक बार एक यज्ञ का आयोजन किया इस यज्ञ के आयोजन के दौरान राजा दक्ष ने भगवान शंकर और माता सती को आमंत्रित नहीं किया। कारण राजा दक्ष भगवान शंकर को अपने तुल्य नहीं समझते थे। ये बात जान माता सती को बुरा लगा और वह बिना आमंत्रण ही यज्ञ में पहुंच गई।
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वही यज्ञ स्थल के पास ही भगवान शिव को काफी अपमानित किया गया, माता सती अपने पति का अपमान सहन न कर सकी और वह हवन कुंड में कूद गई। तत्पश्चात भगवान शिव ने हवन कुंड से माता सती के शरीर को निकालकर तांडव करने लगे, जिस कारण से पूरे ब्रह्मांड में हलचल मच गई।
इस संकट से पूरे ब्रह्मांड को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को 51 भागों में बांट दिया जिसके पश्चात माता सती के जो अंग जहां गिरे वह स्थान एक शक्तिपीठ के रूप में जाना जाने लगा। इसी कथा से जुड़ी मां नैना देवी का यह मंदिर है जहां पर भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र चलाने के बाद माता सती के शरीर का भाग नयन गिरा था।
मंदिर के चमत्कार
इस कलयुग के अंदर भी श्री नैना देवी मंदिर में दो चमत्कार विद्यमान है। पहला चमत्कार है माता जी का प्राचीन हवन कुंड कहते हैं कि इसमें जितना मर्जी हवन करते जाओ शेष कभी नहीं उठाना पड़ता। सारी राख भभूति इसी के अंदर समा जाती है। इस हवन कुंड में श्रद्धालु विजय प्राप्ति के लिए, दुख रोग कष्ट दूर करने के लिए, धन प्राप्ति के लिए कई प्रकार के हवन किए जाते हैं। कहते हैं कि घर में 100 हवन करने के बराबर इस हवन कुंड में एक हवन की मान्यता है।
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दूसरा चमत्कार है माताजी की ज्योतियों का आना मां ज्वाला देवी माता श्री नैना देवी से मिलने आती है। सबसे पहले ज्योति के दर्शन माता के त्रिशूल पर होते हैं। उसके बाद श्रद्धालुओं के हाथों पर, पीपल के पत्तों पर ज्योतियों के दर्शन होते हैं और यह 15 से 20 मिनट तक चमत्कार देखने को मिलता है। उस समय मौसम बहुत भयानक हो जाता है। उस दौरान तेज तूफान आता है और बिजली कड़कती है। एकदम लाइट चली जाती है और उसमें माता की ज्योति प्रकट होती है। सभी श्रद्धालु जो उस समय मंदिर में होते हैं उन्हें माता की ज्योत के दर्शन होते हैं।
नैना देवी मंदिर का प्रमुख त्यौहार
माता नैना देवी के इस मंदिर के पास वैसे तो पूरे वर्ष श्रद्धालु काफी मात्रा में आया करते हैं, परंतु यहां पर तब काफी ज्यादा मात्रा में भीड़ हो जाती है जब यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है। इस माता नैना देवी मंदिर के पास वर्ष के दोनों नवरात्रि के दौरान विशाल मेले का आयोजन होता है, जहां पर केवल हिमाचल के ही लोग नहीं बल्कि पूरे भारत से लोग मेले के दौरान पूजन करने आते हैं। यह वहां का प्रमुख त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
ऐसे पहुंचें माता नैना देवी मंदिर
माता नैना देवी मंदिर अगर आप भी जाने का सोच रहे हैं और आप यह जानना चाहते हैं कि यहां पर कैसे जाएं, तो आपको बता दें कि आप अपनी सुविधा के अनुसार यहां पर वायु, रेल या सड़क किसी भी मार्ग से जा सकते हैं।
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सड़क मार्ग: सड़क मार्ग से नैना देवी मंदिर अगर आप जाने का सोच रहे हैं, तो आपको बता दें कि आप दिल्ली से करनाल चंडीगढ़ होते हुए यहां पर आसानी से खुद की कार, बस या टैक्सी लेकर आ सकते हैं।
रेल मार्ग : अगर आप भी नैना देवी मंदिर जाना चाहते हैं और सोच रहे हैं कि ट्रेन की सुविधा लेकर जाएं तो आपको बता दें कि आप अपने यहां से चंडीगढ़ या पालमपुर रेलवे स्टेशन तक ट्रेन से आ सकते हैं। उसके बाद आपको वहां के रेलवे स्टेशन से बस या टैक्सी लेकर माता नैना देवी मंदिर के पास पहुंचना होगा।
वायु मार्ग : अगर आप नैना देवी मंदिर देश के किसी भी कोने से आना चाहते हैं और आप सोच रहे हैं कि मैं हवाई जहाज से यहां पर जाऊं, तो आपको बता दें कि यहां आने के लिए आपको अपने यहां से चंडीगढ़ के हवाई अड्डे तक पहुंचना होगा। फिर वहां से आपको बस या टैक्सी करके माता नैना देवी मंदिर के पास जा सकते हैं।