
भाजपा के सिरदर्द बनी बड़सर सीट, कांग्रेस में हैट्रिक मारने वाले इंद्र दत्त लखनपाल अब भाजपा में अपने जाल में फंसे
रजनीश शर्मा । हमीरपुर
हमीरपुर जिला की बड़सर सीट कभी भाजपा का गढ़ होती थी। इस गढ़ को इंद्रदत्त लखनपाल ने नेस्टनाबूज किया । इसके पीछे उनकी ताकत नरेश लखनपाल जैसे कर्मठ कांग्रेस कार्यकर्ताओं की टीम रही जिसमें मंजीत डोगरा जैसे पूर्व विधायक भी एकजुटता के साथ खड़े रहे। इंद्र दत्त लखनपाल ने बीजेपी के बलदेव शर्मा को लगातार दो बार तथा तीसरी बार बलदेव की पत्नी माया को बहुत बड़े अंतर से हरा दिया। लगातार 2 चुनाव हार चुके क्षेत्र के पूर्व विधायक और जिला भाजपा के पूर्व अध्यक्ष बलदेव शर्मा को राजनीतिक सन्यास लेने के लिए मजबूर करने वाले लखनपाल आज भाजपा में है तथा भाजपा के अन्य नेताओं को सुपरसीड कर भाजपा की टिकट भी ले आए हैं। बलदेव शर्मा मजबूरन अभी इंद्र दत्त लखनपाल के लिए वोट मांगने को विवश हैं। बीजेपी की सिरदर्दी यह है कि गत तीन चुनावों में भाजपा का सूपड़ा साफ करने वाले लखनपाल के लिए वोट और सपोर्ट किस मुंह से मांगें। 2022 के आम विधानसभा चुनावों में बलदेव शर्मा का टिकट काट उन की धर्मपत्नी माया शर्मा को उम्मीदवार बनाया गया। यह पहला मौका था जब वर्कर्स को मुखालफत पर उतरना पड़ा। परिस्थिति शीर्ष नेताओं के कब्जे से पहली मर्तबा बेकाबू हुई है। भाजपा कार्यकर्ता चाह रहे थे कि दिवंगत बबली के भाई संजीव शर्मा को भाजपा बडसर से टिकट देती। दिवंगत बबली का केंद्रीय हाईकमान से अच्छा खासा नाता रहा। कई केंद्रीय नेता बबली के घर भी संवेदना जताने आते रहे, लेकिन प्रत्याशी घोषित करने के कुछ दिन पहले तक जो माहौल था, उसे अचानक पलट दिया गया।

उल्लेखनीय है कि निधन के समय दिवंगत राकेश शर्मा “बबली हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के पद पर भी काबिज थे। संजीव शर्मा को कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज ने चुनावी रण में उतार दिया, उसे मनाने के लिए जिला भर के तमाम बड़े नेताओं के अलावा आलाकमान के कुछ खास लोगों ने भी काफी प्रयास किए, लेकिन यह सारे प्रयास बेअसर साबित हुए हैं। यही से भाजपा के लिए खतरे की घंटी बज गई।
इस बार संजीव कुमार कांग्रेस के संपर्क में है और उनके बड़सर से कांग्रेस टिकट मिलने के आसार बढ़ते जा रहे हैं । उनके अपने वोट बैंक पर कांग्रेस की खासी नजर टिकी हुई है। संजीव कुमार जिस क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। उस क्षेत्र से कभी भी किसी भी पार्टी ने प्रत्याशी को रण क्षेत्र में नहीं उतारा। संजीव को इसका भी फायदा मिल सकता है। तप्पा ढटवाल के तहत पड़ने वाली तकरीबन 20 से 25 पंचायतों का बड़ा ‘समूह‘ इस क्षेत्र में पड़ता है। संजीव उसी से ताल्लुक रखते हैं। इस क्षेत्र में पार्टी का बड़ा कुनबा उन्हीं के साथ हो लिया है। ऐसे में बड़सर में बीजेपी की सिरदर्दी 2022 के आम चुनावों की तरह 2024 के उपचुनावों में भी बरकरार दिख रही है।



