डंके की चोट पर : आखिर किन नियमों के तहत धड़ाधड़ खुले हमीरपुर की तंग गलियों में कोचिंग संस्थान
रजनीश शर्मा । हमीरपुर
एक चाय का ढाबा भी खोलना हो तो स्वास्थ्य जांच के बाद स्वास्थ्य विभाग उक्त व्यक्ति को एक लाइसेंस प्रदान करता है लेकिन कोचिंग सेंटरों को खोलने की किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं समझी जाती।
एजुकेशन हब हमीरपुर में विद्यार्थियों से लाखों की फीस लेने वाले कोचिंग संस्थान नियमों को ताक पर रख कर चलाए जा रहे हैं। जिला मुख्यालय में ही स्थित कोचिंग सेंटरों में जल भराव, अग्रिकांड और भूकंप जैसी आपदाओं से निपटने के लिए कोई पुख्ता प्रबंध नहीं है। न ही यह संस्थान आपदा प्रबंधन के मानकों का ध्यान में रखकर चलाए जा रहे हैं।
तंग गलियों, जर्जर और बहुमंजिला भवनों की तीसरी-चौथी मंजिल पर कोचिंग संस्थानों में किसी भी आपात स्थिति में राहत पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं। अधिकांश कोचिंग संस्थान व्यावसायिक भवनों में चल रहे हैं, लेकिन इनमें कोचिंग संस्थान के लिए तय नियमों की सीधे-सीधे अनदेखी की जा रही है। इतना ही नहीं संबंधित विभागों को यह भी नहीं पता है कि किस भवन में कौन-सा संस्थान चल रहा है।
आपात स्थिति से निपटने के लिए नहीं कोई प्रबंध
तंग गलियों, जर्जर और बहुमंजिला भवनों की तीसरी-चौथी मंजिल पर कोचिंग संस्थानों में किसी भी आपात स्थिति में राहत पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं। अधिकांश कोचिंग संस्थान व्यावसायिक भवनों में चल रहे हैं, लेकिन इनमें कोचिंग संस्थान के लिए तय नियमों की सीधे-सीधे अनदेखी की जा रही है। इतना ही नहीं संबंधित विभागों को यह भी नहीं पता है कि किस भवन में कौन-सा संस्थान चल रहा है।
हालांकि सामान्य तौर पर व्यावसायिक भवनों के लिए दमकल विभाग से एनओसी ली गई। भवन मालिकों ने निर्माण के दौरान टीसीपी की औपचारिकताएं भी पूरी की हैं। मगर बाद में इन भवनों में कोचिंग संस्थान चलाने के लिए अतिरिक्त जरूरी प्रबंध नहीं किए गए हैं। शहर में स्थित कोचिंग संस्थान ऐसे स्थानों पर हैं, जहां आपात स्थिति में दमकल वाहन को ले जाना तो दूर, एक साथ दो लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल है।
अधिकांश कोचिंग संस्थान भवन के बेसमेंट में चलाए जा रहे हैं। ऐसे में भारी बारिश के दौरान जलभराव होता है तो इससे निपटने के भी प्रबंधकों के पास व्यवस्था तक नहीं है। कोचिंग सेंटरों में मुख्यद्वार के अलावा कोई आपातकालीन रास्ता नहीं है। ऐसे में आपात स्थिति में हाल ही में दिल्ली के एक कोचिंग संस्थान में हुई घटना जैसी स्थिति यहां भी बन सकती है।
कोचिंग संस्थानों के फायर फाइटिंग सिस्टम खराब
कोचिंग संस्थानों में फायर फाइटिंग सिस्टम लगे हैं। मगर वे खराब हो चुके हैं अथवा एक्सपायर हो चुके हैं। विभागीय अधिकारियों ने भी लंबे समय से संस्थानों का निरीक्षण नहीं किया है। ऐसे में कोचिंग संस्थान के संचालक मुंह मांगी फीस लेकर भी विद्यार्थियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इसी वर्ष शिक्षण संस्थानों के लिए गाइडलाइन जारी की थी। नए नियमों के अनुसार कोचिंग संस्थानों को प्रत्येक कक्षा में प्रति छात्र कम से कम एक वर्ग मीटर जगह रखनी होगी। अग्निसुरक्षा कोड का पालन करना भी अनिवार्य किया है। प्रत्येक कोचिंग संस्थान के पास अग्नि और भवन सुरक्षा का प्रमाणपत्र होना चाहिए, लेकिन यहां नियमों का कोई पालन नहीं हो रहा है।
अग्निशमन विभाग के पास नहीं सटीक जानकारी
फायर अधिकारी हमीरपुर प्रेम चंद ने कहा कि हमीरपुर में चल रहे कोचिंग संस्थानों की सटीक जानकारी अग्निशमन विभाग के पास नहीं है। मगर व्यावसायिक भवनों में नेशनल बिल्डिंग कोड के तहत प्रबंध होना जरूरी है। इसको लेकर टीम गठित कर कोचिंग संस्थानों का निरीक्षण किया जाएगा। जानकारी जुटाकर जल्द नियमों की अनुपालना सुनिश्चित की जाएगी।
उच्च शिक्षा उपनिदेशक हमीरपुर अनिल कौशल ने कहा कि शिक्षा विभाग के कोचिंग संस्थानों का पंजीकरण नहीं है। ऐसे में विभाग के पास जानकारी नहीं है कि जिला हमीरपुर में कितने कोचिंग संस्थान चल रहे हैं। शिक्षा विभाग की ओर कोचिंग संस्थानों का निरीक्षण नहीं किया जाता है।
नियमों के उल्लंघन पर होगी कार्रवाई : उपायुक्त
उपायुक्त हमीरपुर अमरजीत सिंह कहते हैं कि टीसीपी, स्थानीय नगर निकायों के पास यह जानकारी होती है। इस विषय पर जल्द संबंधित विभागों की बैठक बुलाकर कोचिंग संस्थानों की स्थिति की जांच की जाएगी। नियमों का उल्लंघन हुआ तो कार्रवाई भी की जाएगी।