
अगर बैंक की ईएमआई कटी तो सब्जी खरीदने के लिए भी नहीं बचेंगे पैसे : कर्मचारी
पोल खोल न्यूज़ | शिमला
हिमाचल प्रदेश में सरकारी खजाने पर छाए वित्तीय संकट के बादलों की धुंध में सरकारी कर्मचारी भी घिर गए हैं। सितंबर महीने की 3 तारीख हो गई है, लेकिन सरकारी विभागों में सेवाएं दे रहे कर्मचारियों और अधिकारियों के खाते में अभी पिछले महीने यानी अगस्त की सैलरी नहीं डली है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश के इतिहास में ये पहली बार हुआ है कि महीने की पहली तारीख को विभिन्न विभागों सेवाएं दे रहे कर्मचारियों के खाते में सैलरी क्रेडिट नहीं हुई है। वहीं, कर्मचारियों ने हाउस लोन सहित कई तरह के लोन लिए हैं। जिसकी किश्तें हर महीने की दो से तीन तारीख के बीच कटती हैं। ऐसे में कर्मचारियों का कहना है कि अगर सैलरी नहीं पड़ती है और खाते से ईएमआई कट जाती है तो सरकारी कर्मचारियों के खाते में लहसुन, प्याज और सब्जियां खरीदने के भी पैसे नहीं बचेंगे। यही नहीं बहुत से कर्मचारियों के खाते में तो ईएमआई कटने तक के पैसे नहीं बचे हैं। ऐसे में कर्मचारियों को सैलरी न मिलने से ईएमआई की चिंता सताने लगी है।
महंगाई के इस दौर में सैलरी न मिलने से परेशान कर्मचारियों की आज सचिवालय में महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है, जिसमें कर्मचारियों और अधिकारियों के खाते में अभी तक सैलरी क्रेडिट न होने पर और आगामी रणनीति पर चर्चा की जाएगी। हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संघ को सैलरी न डलने को लेकर लगातार फोन आ रहे हैं। जिसमें कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों से सैलरी न मिलने के मामले को सरकार से उठाए जाने की मांग कर रहे हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि घर में रसोई चलाने के लिए महीने का राशन खरीदना है। बच्चों के स्कूल की फीस चुकानी है। ईएमआई की खाते से किश्त कटनी है। इसके अलावा अन्य खर्च चलाने के लिए पैसे की जरूरत है, लेकिन सैलरी न मिलने से घर के जरूरी खर्च चलाने पर संकट आ गया है। वहीं, हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संघ के महासचिव कमल शर्मा ने बताया कि सैलरी के लिए लगातार कर्मचारियों के फोन आ रहे हैं। इसको देखते हुए आज कर्मचारियों की सचिवालय में बैठक रखी गई है।
हर महीने चाहिए 2000 हजार करोड़
हिमाचल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि कर्मचारियों को पहली तारीख को वेतन नहीं मिला है। प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के एक महीने के वेतन की रकम 1200 करोड़ रुपए के करीब बनती है। इसी तरह पेंशन का एक महीने का अमाउंट 800 करोड़ रुपए बनता है। कुल मिलाकर सरकार को एक महीने के वेतन और पेंशन के लिए 2000 करोड़ रुपए की रकम चाहिए।