पितरों की मृत्यु की तिथि न हो याद… तो इस तारीख को करें श्राद्ध
पोल खोल न्यूज़ डेस्क | हमीरपुर
अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध और तर्पण करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और उनकी आत्मा को शांति भी। यह एक ऐसा पखवाड़ा होता है, जिसमें लोग अपने पूर्वजों का आशीर्वाद लेते हैं। पितृ पक्ष 16 दिनों का होता है, इसमें कई ऐसी तिथियां होती हैं, जिस दिन श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों को खुशी मिलती है और वो खुश होकर आशीर्वाद देते हैं।
पितृ पक्ष की शुरूआत हर साल भाद्रपद पूर्णिमा से होता है और 16 दिनों तक चलने के बाद आश्विन अमावस्या पर इसका समापन होता है। इन 16 दिनों में तीन ऐसी तिथियां हैं, जिस दिन श्राद्ध और तर्पण कर अपने पितरों को खुश किया जा सकता है। यूं तो पितृ पक्ष की हर तिथियों का अपना महत्व है, लेकिन इन 16 दिनों में भरणी श्राद्ध, नवमी श्राद्ध और सर्व पितृ अमावस्या या अमावस्या श्राद्ध की तिथियां महत्वपूर्ण हैं।
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भरणी श्राद्ध
किसी भी परिजन की मृत्यु के एक साल बाद भरणी श्राद्ध करना बहुत जरूरी होता है। अविवाहित मरने वालों का भरणी श्राद्ध पंचमी तिथि में होता है। अगर कोई बिना तीर्थस्थलों के दर्शन किए बगैर मर जाए, तो उसकी आत्मा की शांति के लिए गया, पुष्कर और अन्य जगहों पर भरणी श्राद्ध करना जरूरी होता है। बता दें कि, इस साल भरणी श्राद्ध करने की तिथि दो अक्टूबर को है। दो अक्टूबर को भरणी नक्षत्र शाम 6 बज कर 24 मिनट तक रहेगा।
नवमी श्राद्ध
पितृ पक्ष के इस श्राद्ध को मातृ श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि पर मां सम्मान लोगों का श्राद्ध किया जाता है। जैसे मां, नानी, दादी इत्यादि। यह तिथि मां के लिए होता है। अगर इस दिन आपने उनके लिए पिंडदान या अन्य चीजें नहीं की तो वो नाराज हो जाती हैं और आपको पितृ दोष लग सकता है। इस साल यह तिथि 7 अक्टूबर को है।
सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध
यह श्राद्ध उन पितरों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि यदि आपको याद ना हो या फिर आपको अपने पितरों की जानकारी ना हो, तो फिर आश्विन अमावस्या के दिन सर्व पितृ श्राद्ध या तर्पण कर सकते हैं। इस दिन पिंडदान करने से वैसे सभी पितरों को खुशी मिलती है, इस साल यह दिन 14 अक्टूबर को है।