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ग्वारडू पंचायत में मनरेगा दिहाड़ियों को लेकर अपनी अपनी डफली अपना अपना राग, बाधित हो रहे विकास कार्य, लोग असंतुष्ट
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न्यूनतम तय दिहाड़ी न मिलने पर नहीं मिल रहे अब मजदूर
रजनीश शर्मा । हमीरपुर
बमसन विकास खंड की ग्वारडू पंचायत में तकनीकी कारणों से मनरेगा दिहाड़ियों को लेकर अपनी अपनी डफली अपना अपना राग सुनने को मिल रहा है । यही वजह है कि अब पंचायत में विकास कार्य भी बाधित होना शुरू हो गए हैं। मनरेगा के तहत न्यूनतम दिहाड़ी पुराने रेट के तहत 240 रुपए तय है जबकि अब इसे बढ़ाकर 300 रुपए कर दिया गया है। हैरानी इस बात की है कि मनरेगा के तहत लगे मजदूरों को 84 रुपए से लेकर 100 रुपए दिहाड़ी दी गई। ऐसे में आठ- आठ घंटे काम करने वाले मजदूर शोषण का शिकार हो रहे हैं। जानकारी के मुताबिक ऐसा तकनीकी रूप से कार्य की असेसमेंट कर जानबूझ कर किया जा रहा है। अब हालात यह है कि पंचायत में मनरेगा के तहत काम करने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं । लोग तो यह भी पूछने लगे हैं कि कहीं दिहाड़ियों के नाम पर पंचायत में कोई घोटाला तो नहीं चला हुआ है। इस बारे में कुछ लोग बीडीओ टौणी देवी तक भी शिकायत लेकर पहुंच चुके हैं।
विकास के लिए कृत्संकल्प है पंचायत : सरोज कुमारी
ग्राम पंचायत ग्वारडू की प्रधान सरोज कुमारी ने इस बारे बताया कि पंचायत के सभी वार्डों में बराबर विकास करवाया जा रहा है। मनरेगा की दिहाड़ियों को लेकर अगर लोगों ने असंतोष है तो संबंधित कर्मचारी से इस बारे बात कर लोगों को उचित दिहाड़ी दिलाई जाएगी।
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पहले 240 तो अब 300 रुपए दिहाड़ी : अशोक कुमार
इस बारे पंचायत सचिव अशोक कुमार ने कहा कि मनरेगा के तहत पुराने कार्यों पर मजदूरों को 240 रुपए और नए कार्यों पर अब 300 रुपए न्यूनतम दिहाड़ी तय है। यदि मजदूर पूरे आठ घंटे कार्य कर रहे हैं तो उन्हें पूरी दिहाड़ी दिए जाने का प्रावधान है। माइनिंग फॉर्म को लेकर भी शिकायत मिली थी जिसकी जांच की जा रही है।
माइनिंग फॉर्म की वजह से बाधित हो रहे काम : जगदीश चंद
इस बारे तकनीकी सहायक जगदीश चंद ने बताया कि काम की असेसमेंट के बाद ही मजदूरों को दिहाड़ी दी जाती है जिसमें नियमों की पालना की जा रही है। उन्होंने कहा कि निर्माण सामग्री को लेकर माइनिंग फॉर्म को लेकर भी कार्य बाधित हो रहे हैं। कुछ डुप्लिकेट माइनिंग फॉर्म पकड़ में आए हैं।