जो लोग बिल चुका सकते हैं, उन्हें छोड़ देनी चाहिए बिजली सब्सिडी : धर्माणी
पोल खोल न्यूज़ | शिमला
तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि पूर्व सरकार ने घरेलू उपभोक्ताओं के लिए प्रतिमाह 125 यूनिट तक बिजली बिल माफ करने की योजना लाई थी। प्रदेश सरकार ने अब सभी उपभोक्ताओं को इस योजना में शामिल नहीं करने का फैसला लिया है। ऐसे में जो लोग बिल चुका पाने में सक्षम हैं, उन्हें स्वयं योजना से बाहर होते हुए सब्सिडी छोड़ देनी चाहिए। इस बारे में एक योजना भी लाने की तैयारी है।
इसके तहत गैस सिलिंडर की तर्ज पर बिजली सब्सिडी भी छोड़ने की अपील की जाएगी। मंत्री ने कहा कि जो लोग बिल चुकाने के लिए आर्थिक तौर पर सक्षम नहीं होंगे, उन्हें निशुल्क बिजली मिलती रहेगी। कैबिनेट सब कमेटी की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में तकनीकी शिक्षा मंत्री ने कहा कि बिजली बोर्ड ने किसी भी इंजीनियर को पद से नहीं हटाया है और इन पदों को समायोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए वित्तीय प्रबंधन महत्वपूर्ण है और इस दिशा में ही उपभोक्ता हितैषी निर्णय लिए जा रहे हैं।
बता दें कि वर्ष 2018 और 2021 में बोर्ड ने वाहन न खरीदने का निर्णय लिया था। इसी के दृष्टिगत बोर्ड द्वारा आउटसोर्स आधार पर चालकों की सेवाएं नहीं ली जा रही हैं। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों से संबंधित मामलों को लेकर मुख्यमंत्री के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। धर्माणी ने कहा कि चुनावों को देखते हुए हम कोई फैसला नहीं लेंगे। सुधारात्मक काम किया जाएगा। ओपीएस बहाली के लिए पूरा प्रस्ताव मांगा है। यूनियनों से संसाधन बढ़़ाने के लिए भी सुझाव मांगे हैं। बैठक में बोर्ड के प्रबंध निदेशक संदीप कुमार, कार्यकारी निदेशक ईशा ठाकुर भी मौजूद रहे।
पानी के घरेलू और व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए कानून बनाने को राज्य सरकार ने एक्सपर्ट ग्रुप बनाने की अधिसूचना जारी की है। इसके अध्यक्ष अतिरिक्त मुख्य सचिव जल शक्ति ओंकार शर्मा होंगे।
राज्य जल आयोग के अध्यक्ष अमिताभ अवस्थी को इसका सदस्य सचिव बनाया गया है। इसके सदस्य ऊर्जा सचिव, विधि सचिव, नई दिल्ली में हिमाचल प्रदेश सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता और जल शक्ति विभाग प्रमुख अभियंता बनाए गए हैं। यह ग्रुप भारत सरकार या अन्य राज्यों के लिए कानून तैयार करने में अनुभव रखने वाली परामर्श एजेंसी का चयन करेगा और अक्तूबर के अंत तक सिफारिशें प्रस्तुत करेगा। परामर्श एजेंसी आवश्यकता के अनुसार विशेषज्ञ समूह के साथ बैठकें करेगी। यह उल्लेखनीय है कि एक हफ्ते पहले मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा था कि हिमाचल में पानी से जुड़े सभी कानून मर्ज होंगे और एक अंब्रेला एक्ट बनेगा।