आज है नरक चतुर्दशी, जानें कब और किस दिशा में जलाएं यम दीपक?
पोल खोल न्यूज़ डेस्क | हमीरपुर
दीपों का त्योहार दिवाली इस साल 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। उससे पहले 29 अक्टूबर को धनतेरस का त्योहार मनाया गया। दिवाली और धनतेरस के बीच आज यानी 30 अक्तूबर 2024, बुधवार के दिन छोटी दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार यमराज को समर्पित है। इसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। माना जाता है कि यह पूजा करने से मृत्यु के बाद नरक में जाने से बचा जा सकता है। धार्मिक दृष्टिकोण से नरक चतुर्दशी का दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है। क्या आप जानते हैं कि नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली क्यों कहते हैं और यह पर्व क्यों मनाया जाता है? आइए हम आपको बताते हैं और जानते हैं इस पर्व का महत्व…
नरक चतुर्दशी का महत्व
नरक चतुर्दशी आज, 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। आज के दिन लोगों द्वारा अपने घर के बाहर यमराज के नाम से दीपक जलाने की परंपरा है, ताकि उनके परिवार के किसी सदस्य को अकाल मृत्यु का डर न सताए। नरक चतुर्दशी के इस त्योहार को लोग छोटी दिवाली के नाम से भी मनाते हैं। इसके साथ ही आज के दिन बड़ी दिवाली का भी लोग शुभारंभ करते हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार राम भक्त हनुमान ने माता अंजना के गर्भ से इसी दिन जन्म लिया था। इसलिए इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
ये भी पढ़ें: Diwali 2024 : 31 अक्टूबर या 1 नवंबर किस दिन मनाई जाएगी दिवाली
नरक चतुर्दशी का मुहूर्त
नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर को 1 बजकर 16 मिनट से शुरू हो जाएगी। इस तिथि का समापन अगले दिन 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 53 मिनट पर होगा। ये त्योहार भी दिवाली की तरह रात के समय में ही मनाया जाता है। जिस कारण आज रात को ही यम का दीपक जलाना शुभ होगा। दीपक जलाने का मुहूर्त शाम 5 बजकर 30 मिनट से शाम 7 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।
नरक चतुर्दशी को क्यों कहा जाता है छोटी दिवाली?
छोटी दिवाली का पर्व धनतेरस के अगले दिन मनाया जाता है। यह पांच दिवसीय त्योहार का दूसरा दिन होता है और इसके अगले दिन दीपोत्सव मनाया जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार नरक चतुर्दशी का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। दरअसल नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दिवाली से एक दिन पूर्व मनाई जाती है। इस दिन भी घर में दीप जलाए जाते हैं। इस दिन मुख्य तौर पर 14 दीपक जलाने की परंपरा है।
नरक चतुर्दशी को यम चतुर्दशी, रुप चतुर्दशी या रुप चौदस जैसे नामों से भी जाना जाता है। इसके अलावा इसे नरक चौदस और नरक पूजा के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि इसे छोटी दिवाली के तौर पर मनाया जाता है। इस खास दिन पर यमराज की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।
ये भी पढ़ें: दिवाली पर 31 अक्तूबर को भी एचआरटीसी की रात्रि बस सेवा होगी संचालित
पौराणिक धार्मिक मान्यता के अनुसार छोटी दिवाली के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का संहार किया था। इसलिए इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। आज के दिन लोग भगवान कृष्ण की राक्षस पर जीत का जश्न मनाते हैं और घरों की साफ-सफाई करते हैं। इस दिन बुराई के अंधेरे को दूर करने और सकारात्मकता का स्वागत करने के लिए भी दीपक जलाए जाते हैं।
ऐसे जलाएं यम दीपक
नरक चतुर्दशी के दिन सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में यम का दीपक जलाना चाहिए। यम दीपक जलाने का भी शास्त्रों में विशेष प्रावधान है।
- यमराज का दीपक जलाने के लिए एक चौमुखी दीपक या कोई सामान्य दीपक लें सकते हैं।
- दीपक में जो 4 बत्तियां लगाई जाएंगी, उनका मुख चारों दिशाओं की और ही होना चाहिए।
- इस दीपक में सरसों का तेल भरना चाहिए।
- दीपक को अपने घर के अंदर और घर के बाहर चारों दिशाओं में घुमाना चाहिए।
- दीपक को घर के प्रवेश द्वार के बाहर या किसी बहते पानी के पास रखना चाहिए।
- ऐसा करने से लोगों को यमराज द्वारा अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।