
Bhai Dooj 2024: कब मनाया जाएगा भैया दूज का त्योहार, बन रहे है 2 शुभ योग
पोल खोल न्यूज़ डेस्क | हमीरपुर
धनतेरस के दिन से ही दिवाली पर्व की शुरुआत हो जाती है। इसका समापन भाई दूज के दिन होता है। राखी की तरह ही भाईदूज का पर्व भाई बहन के प्यार का प्रतीक माना जाता है। इस त्यौहार को अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे भाई दूज, भाई टीका, यम द्वितीया और भातृ द्वितीया। भाई दूज का त्योहार भगवान श्री कृष्ण को समर्पित रखता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा आराधना की जाती है। आईये जानते है भाई दूज का त्यौहार कब है और शुभ योग क्या बन रहे है?
हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है। इस साल 3 नवंबर को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाएगा। भाई दूज के दिन भगवान कृष्ण की पूजा आराधना की जाती है। इस दिन भाई अपने बहन घर जाते है। इस दिन बहन अपने भाई का आदर सत्कार करती है। और बहन भाई की लंबी उम्र और खुशियों की कामना करती है।
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कब से शुरु हो रही है द्वितीय तिथि
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की वित्तीय तिथि की शुरुआत 2 नवंबर रात 8 बजकर 16 मिनट से शुरु होने जा रहा है।इसका समापन अगले दिन यानी 3 नवंबर रात 11बजकर 23 मिनट पर हो रहा है। उदयातिथि के अनुसार 03 नवंबर को ही भाई दूज का त्यौहार मनाया जाएगा। इस दिन दो शुभ योग भी बन रहे है भाई दूज के दिन सौभाग्य और शोभन योग का निर्माण हो रहा है।
भाई दूज 2024 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, सुबह 11 बजकर 45 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक का समय पूजा के लिए सबसे उत्तम है। इस समय आप अपने भाईयों का तिलक कर सकती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, शुभ मुहूर्त में तिलक करने से भाइयों की उम्र लंबी होती है साथ ही उनके जीवन में खुशहाली आती है।
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इस त्यौहार का क्या है महत्व
भाई दूज के दिन दो पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज की बहन यमुना उन्हें अपने घर भोजन के लिए बार-बार बुलाती थीं, लेकिन यमराज अपने काम में व्यस्त होने के कारण नहीं जा पाते थे। एक दिन भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने पहुंचे। यमुना ने बड़े प्यार से उनके पसंद का भोजन बनाया। इस पर यमराज ने अपनी बहन को वरदान दिया कि इस दिन जो भाई अपनी बहन के घर भोजन करेगा, उसकी सभी मुश्किलें दूर होंगी। इसी कारण हर भाई इस दिन अपनी बहन के घर भोजन करने जाता है।
एक भागवत कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध करके अपने घर वापस लौटे जहाँ सुभद्रा ने माथे पर तिलक लगाकर अच्छे-अच्छे पकवान खिलाकर उनका आदर सत्कार किया था। तब से ही उस दिन को एक त्यौहार के रूप मे मनाया जाने लगा।
इस दिन बहन अपने भाई का तिलक करती है, आरती उतारती है और उसके हाथों में दूर्वा देती है, जिसे भगवान गणपति को अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है। यह भाई के हर दुःख को दूर करने का प्रतीक है। इसके साथ ही, बहन अपने भाई के लिए यम दीप जलाती है। इसे द्वार के बाहर रखा जाता है ताकि भाई की उम्र लंबी हो और उसे किसी तरह की कठिनाई न हो।