लावारिस पशुओं और गोसदनों में जानवरों की दुर्दशा पर हाईकोर्ट सख्त, खर्च बजट की मांगी रिपोर्ट
पोल खोल न्यूज़। शिमला
हिमाचल प्रदेश में मंदिर ट्रस्टों और शराब पर लिए जाने वाले सेस से गोसदनों के सुधार पर कितना खर्च किया गया, इस पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार से रिकॉर्ड तलब किया है। हिमाचल प्रदेश में लावारिस पशुओं और गोसदनों में जानवरों की दुर्दशा पर हाईकोर्ट सख्त हो गया है और सरकार से पिछले पांच साल में गोसदनों पर खर्च बजट की रिपोर्ट मांगी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने बीमार और लाचार पशुओं की स्थिति सुधारने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
वहीं अदालत ने कहा कि राज्य में मंदिरों ट्रस्ट से कुल प्राप्ति का 15 फीसदी पैसा गोसदनों के सुधार के लिए लिया जाता है। वहीं, शराब की बोतलों पर जो ढाई रुपए का सेस लगता है, वह भी गोसदनों को जाता है। इतना बजट होने के बावजूद हिमाचल में लावारिस पशुओं की स्थिति बदतर बनी है। हाईकोर्ट में पहला मामला राधेश्याम काऊ सेंचुरी लुथान का है। यहां अत्यधिक संख्या में लावारिस पशुओं की मौत होने और मरे जानवरों के कंकाल खुले में फेंकने पर हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया था। यहां एक साल में करीब 1,200 पशुओं की मौत हुई है। दूसरा मामला धर्मशाला के सराहा की गलियों में 121 के करीब पशुओं को खुले में छोड़ने और सड़कों पर पशुओं की मौत का है।
अदालत ने एसडीएम ज्वाली से लुथान राधे श्याम काऊ सेंचुरी की दयनीय स्थिति पर जवाब दायर करने को कहा है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि लुथान काऊ सेंचुरी की हालत बहुत खराब है। अदालत के आदेशों के बाद जब वहां का जायजा लिया गया तो पाया गया कि वहां पर जानवरों को उचित चारा नहीं दिया जा रहा है। गोसदन में 300 के बजाय एक हजार पशु रखे गए हैं। मामले में अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।