
बिजली बोर्ड के हाथों से निकला 66 केवी पूह-समधो-काज़ा ट्रांसमिशन लाइन का कार्य
पोल खोल न्यूज़ | शिमला
हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में 66 केवी पूह-समधो-काज़ा ट्रांसमिशन लाइन के कार्य ने नया मोड़ ले लिया है। प्रदेश सरकार ने इस कार्य को बिजली बोर्ड से छीनकर संचार निगम को सौंप दिया है। इस बारे में सरकार की तरफ से 12 नवंबर को आदेश भी जारी कर दिए हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार के इस निर्णय पर बिजली बोर्ड के ज्वाइंट फ्रंट ने अपना ऐतराज जताया है। शिमला में बिजली बोर्ड कर्मचारी व अभियंता के ज्वाइंट फ्रंट की मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ सीएम आवास पर हुई वार्ता के दौरान कर्मचारी नेताओं ने इस पुनर्विचार करने की मांग की है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री से अन्य मांगों को भी उचित निर्णय लिए जाने का भी आग्रह किया गया है।
ये है मामला
बताते चलें कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने दिसंबर 2023 में RDSS योजना के अंतर्गत 66 केवी पूह-समधो-काज़ा लाइन का निर्माण कार्य का जिम्मा सौंपा था। जिस पर केंद्र सरकार ने 90 फीसदी अनुदान देना था और बाजू का 10 फीसदी खर्च बिजली बोर्ड को करना था। इस कार्य को दिसंबर 26 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसको देखते हुए बिजली बोर्ड़ ने इस कार्य को सिरे लगाने के लिए निविदाएं भी आमंत्रित कर ली थी, लेकिन अब प्रदेश सरकार ने इस कार्य को बिजली बोर्ड से छीनकर संचार निगम को सौंप दिया है।
बिजली बोर्ड ज्वाइंट फ्रंट के संयोजक ई. लोकेश ठाकुर व सह-संयोजक हीरा लाल वर्मा ने कहा कि इस 66 केवी ट्रांसमिशन लाइन के साथ 66 केवी सब-स्टेशन समधो को भी संचार निगम को दिया गया है। सरकार का ये निर्णय बिजली के अधिकार क्षेत्र पर अतिक्रमण है, जिसे कतई सहन नहीं किया जाएगा। पूह से काजा तक की लाइन के निर्माण के लिए बिजली बोर्ड को केंद्र सरकार की आरडीएसएस स्कीम में पैसा मिला है। इस पर 362 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं, जिसमें से 300 करोड़ रुपए की राशि केंद्र सरकार दे रही है।
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लोकेश ठाकुर और हीरा लाल वर्मा ने कहा कि हिमाचल बिजली बोर्ड को केंद्रीय योजना के तहत इस काम को करने का जिम्मा सौंपा गया था, लेकिन अब इस कार्य को संचार निगम को दिया गया हैं। सरकार के इस निर्णय से संचार निगम को नये से यह कार्य शुरू करना पड़ेगा। वहीं, केंद्र सरकार की ग्रांट पर भी संशय रहेगा। ये ग्रांट बिजली वितरण कंपनी को दी जानी है। ऐसे में संचार निगम की ये कार्य दिया जाना तर्क तर्कसंगत नहीं है। जनता को बिजली की सुचारू व्यवस्था करने का अधिकारी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के पास है और वो बिजली बोर्ड है।
बिजली बोर्ड जॉइंट फ्रंट का तर्क है कि अगर ट्रांसमिशन लाइन का कार्य करता है तो इस स्थिति में टैरिफ नहीं बढ़ेगा, वहीं संचार निगम को कार्य देने से टैरिफ बढ़ेगा। ये इसलिए कि संचार निगम कारपोरेशन से बिजली बोर्ड 34 पैसे प्रति यूनिट बिलिंग चार्ज वसूल करेगा, जिससे टैरिफ महंगा होगा, जिससे उपभोक्ताओं को भी नुकसान होगा। ऐसे में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से इस तरह के निर्णय पर पुनर्विचार किए जाने का आग्रह किया है।
मुख्यमंत्री से हुई वार्ता के दौरान बिजली बोर्ड जॉइंट फ्रंट ने बिजली बोर्ड़ में समाप्त किए गए 51 पदों के फैसले पर पुनर्विचार कर बहाल करने, बिजली बोर्ड से छंटनी किए गए 81 आउटसोर्स ड्राइवर के फैसले पर पुनर्विचार करने, बिजली बोर्ड में पुरानी पेंशन के फैसले को लागू करने की भी मांग रखी है। वहीं, बिजली बोर्ड जॉइंट फ्रंट ने बिजली बोर्ड के ढांचे से छेड़छाड़ पर भी अपना एतराज जताया है।