
नवविवाहित जोड़े के लिए क्यों खास होती है लोहड़ी? जानें महत्व और पूजन विधि
पोल खोल न्यूज़ डेस्क | हमीरपुर
लोहड़ी का त्योहार पंजाब और उत्तर भारत में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन किसान नई फसल की खुशियां मनाते हैं और अच्छी फसल की कामना करते हैं। हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है जो कि सिख व पंजाबी समुदाय के लिए सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन अग्नि जलाकर उसकी परिक्रमा लगाई जाती है और उसमें मूंगफली व रेबड़ी डाली जाती है। लोहड़ी का त्योहार नई शादीशुदा जोड़े के लिए बहुत ही खास होता है और इस दिन दुल्हा-दुल्हन पवित्र अग्नि के फेरे लेते हैं। घर-परिवार के लोग इकट्ठा होकर हर्षोल्लास के साथ इस त्योहार को मनाते हैं। क्या आप जानते हैं कि आखिर नवविवाहित जोड़े के लिए लोहड़ी का पर्व इतना खास क्यों होता है?
नवविवाहित जोड़े के लिए लोहड़ी का महत्व
जिन लोगों की नई-नई शादी होती है उनके लिए पहली लोहड़ी बहुत ही खास होती है। इस दिन घर पर विशेष प्रकार के जश्न का आयोजन होता है और रिश्तेदारों व दोस्तों को बुलाया जाता है। इसके बाद खूब नाच-गाना, बजाना और मस्ती होती है। साथ ही सभी लोग नए जोड़े को हमेशा खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं। यह परंपरा बहुत समय से चली आ रही है। आइए जानते हैं कि इसके पीछे क्या है वजह…
लोहड़ी की परंपरा
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार राजा दक्ष ने भव्य यज्ञ का आयोजन किया और इसमें सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा गया, लेकिन दक्ष ने अपनी पुत्री सती और उनके पति भगवान शिव को न्योता नहीं भेजा। जिसे सती ने पति का अपमान माना और भगवान शिव के मना करने के बाद भी यज्ञ में पहुंच गईं। देवी सती को वहां देखकर उनके पिता दक्ष ने भगवान शिव और सती का खूब अपमान किया। पति के लिए इस तरह के अपशब्द सुनने के बाद सती क्रोधित हो गईं और अग्नि में कूद कर भस्म हो गई। इसके बाद भगवान शिव ने क्रोधित होकर प्रलय मचा दिया और किसी तरह देवताओं के आग्रह पर शांत हुए।
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इसके बाद अगले जन्म में देवी सती ने दक्ष की पुत्री बनकर पार्वती के रूप में जन्म लिया और भगवान शिव से विवाह किया। उस दौरान प्रजापति दक्ष ने अपनी पिछली भूल का प्रायश्चित करने के लिए लोहड़ी के दिन अपने पुत्री को उपहार भेजे और उनके शादीशुदा जीवन में खुशहाली की कामना की।
कहते हैं कि तभी से लोहड़ी के दिन नवविवाहित जोड़े को सभी आशीर्वाद और उपहार देने की परंपरा चली आ रही है। मान्यता है कि इस दिन यदि पति-पत्नी लोहड़ी की आग सेंकते हैं तो उनके रिश्ते को किसी की नजर नहीं लगती और संतान प्राप्ति की कामना भी होती है।
लोहड़ी पूजन विधि
लोहड़ी के दिन भगवान श्रीकृष्ण, अग्निदेव और आदिशक्ति की पूजा की जाती है। इस दिन घर की पश्चिम दिशा में आदिशक्ति की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए और प्रतिमा के समक्ष सरसो के तेल का दीपक जलाना चाहिए। फिर उन्हें सिंदूर व बेलपत्र अर्पित करें और तिल के लड्डूओं का भोग लगाएं। लोहड़ी के दिन पूजा करते समय सूखे नारियल में कपूर डालकर जलाना चाहिए. इसके बाद अग्नि की 7 परिक्रमा लगाएं और उसमें तिल व मूंगफली डालें. बाद में घर में बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। पोल खोल न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता।