
Neha Verma| Pol Khol News Desk
शिमला
राज्य सरकार की ओर से आपदा के कारणों की जांच के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अकेले ब्यास बेसिन में ही 131 स्टोन क्रशरों में से 68 अवैध हैं। सरकार की ओर से गठित मल्टी सेक्टर कमेटी ने आपदा के लिए जलवायु परिवर्तन को भी बड़ा कारण माना है। प्रदेश में बरसात में आई प्राकृतिक आपदा का मुख्य कारण यही अवैज्ञानिक और अवैध खनन है।
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ब्यास बेसिन पर 131 स्टोन क्रशरों में से 68 के पास संचालन की अनुमति नहीं नहीं मिली है। इसके अतिरिक्त 7 क्रशर बाढ़ से प्रभावित पाए गए हैं। जबकि 6 में भंडारण से संबंधित अनियमितताएं पाई गई हैं। नदी में अत्याधिक मलबा फैंकने से बाढ़ ने गंभीर रूप धारण किया जिससे जान माल की भारी क्षति हुई।
वहीं, कमेटी ने कहा है कि ब्यास नदी का पर्यावरणीय संतुलन भारी दबाव में है, जिसका वैज्ञानिक अध्ययन करने की जरूरत है और स्टोन क्रशरों के संचालन के लिए उपयुक्त उपाय करने जरूरी हैं। समिति ने सिफारिश की है कि पर्यावरणीय संतुलन के लिए सरकार खनन व स्टोन क्रशरों के संचालन की अनुमति, नवीनीकरण भविष्य में एकल खिड़की आधार पर प्रदान की जाए। समिति की अंतिम रिपोर्ट आने तक नए स्टोन क्रशर खोलने पर अस्थायी प्रतिबंध रहे।
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कमेटी ने औपचारिकताएं पूरी करने वाले 50 क्रशरों को शर्तों के साथ संचालित करने की सिफारिश की है। क्रशर सुबह 6 से शाम 6 बजे तक 12 घंटे के लिए ही संचालित हों, क्रशर पर डीजी सेट का प्रयोग अवैध बनाया जाए, स्टोन क्रशरों पर सीसीटीवी कैमरा अनिवार्य किया जाए, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा खनन विभाग के अधिकारी नियमित निरीक्षण करें। क्रशर के 500 मीटर दायरे में गैर-कानूनी खनन मिले तो स्थानीय अधिकारी लिखित रिपोर्ट दें।
वहीं, पंचायतीराज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा है कि प्रदेश में आपदा के बाद 9,655 घर बनाने के लिए 14 दिसंबर से पहले राशि जारी कर दी जाएगी। सरकार ने प्रदेश में राहत पैकेज की पहली किस्त जारी कर दी है। शिमला जिले के लिए भी जल्द राशि जारी कर दी जाएगी। शिमला जिले में 6,551 घर बनने के लिए पहले चरण में जो राशि आई थी वो वितरित कर दी गई है। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने अपने समय में कुछ नहीं किया, इन्हें सिर्फ उंगली उठाना ही आता है। आपदा से प्रदेश में 10 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है।