
अनियंत्रित ब्लास्टिंग से भेड़ी-सजाओ के दो दर्ज़न घरों में आई दरारें : भूपेंद्र
पोल खोल न्यूज़ | सरकाघाट
भूकंप से भी ज़्यादा सैंकड़ो मीटर दूर तक थर्थरारती है ज़मीन,कंपनी बिना अनुमति से पिछले दो महीने से पाड़छु से आगे मनमर्ज़ी से कर रही है। गैरकानूनी विस्फोट
सरकाघाट से धर्मपुर होते हुए मंडी को ओर बन रहे राष्ट्रीय उच्च मार्ग नंम्बर 03 की निर्माण कंपनी का काम शुरू से ही विवादों में है और ये कम्पनी और उसके ठेकेदार अपनी मनमर्ज़ी से निर्माण कार्य कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन व यहां के नुमाइंदे इनके आगे बौने साबित हो रहे हैं या फ़िर अरबों का निर्माण कार्य करने वाली कंपनी ने इनको चढ़ावा चढ़ा कर इनके मुहं बन्द कर दिए हैं। ये बात पूर्व ज़िला पार्षद व माकपा नेता ने मीडिया में कही है।
उन्होंने बताया कि कंपनी व ठेकेदार द्धारा पाड़छू से हुक़्क़ल के बीच ढांक की कटिंग पिछले दो महीने से चल रही है और इसे काटने के लिए विस्फोटक सामग्री लगा कर ब्लास्टिंग की जा रही है। जिससे सजाओपीपलु ग्राम पंचायत के भेड़ी गांव के दो दर्ज़न परिवारों के मकानों व गौशालाओं में दरारें आ गई हैं और खिड़कियों के शीशे और फ़र्श की टाईलें टूट गई हैं। भूपेंद्र सिंह व किसान सभा के खंड अध्य्क्ष रणताज़ राणा ने इस गाँव का दौरा किया और क्षतिग्रस्त घरों का अवलोकन करने के बाद बताया कि निर्माण कंपनी जो विस्फोटक इस्तेमाल कर रही है। उससे तीन-चार सौ मीटर दूर बने घरों को नुक़सान हुआ है क्योंकि ये ब्लास्टिंग निर्धारित नियमों के अनुसार नहीं कि जा रही है और न ही कंपनी ने इसकी अनुमति स्थानीय प्रशासन से ली है।
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उन्होंने बताया कि ब्लास्टिंग के लिए बने नियमों में नियंत्रित(कंट्रोल्ड) ब्लास्टिंग का अनुमति लेने का प्रवधान है और उसके लिए भूमि की ऊपरी परत पर पहले लाईन लगानी पड़ती है ताकि उससे आगे इसका प्रभाव न पड़े। आमतौर विस्फोटक लगाकर ब्लास्टिंग की अनुमति नज़दीकी क्षेत्र का सर्वेक्षण करने और उससे किसी प्रकार का नुक़सान न होने की रिपोर्ट आने पर ही इसकी अनुमति दी जाती है लेकिन यहां तो कंपनी ने अनुमति ली ही नहीं और दर्जनों घरों को जर्जर हालत में कर दिया है। जिसके लिए स्थानीय प्रशासन को इस कंपनी पर तुरन्त कार्यवाई करनी चाहिए और घरों को हुए नुकसान का मुआवज़ा देना होगा। कटिंग के कारण पाड़छु पटवार घर से आगे भेड़ी के लिए बने रास्ते को तोड़ दिया है जिससे स्थानीय लोग जिनके खेत व घासनियाँ हैं वे अब वहां नहीं जा सकते हैं।कटिंग दो तीन सौ मीटर ऊंची की गई है लेकिन सुरक्षा दीवारें केवल छः मीटर ही लगाई जा रही है, जिसके चलते बरसात में और ज़्यादा नुक़सान होगा।सड़क पर धूल को कम करने के लिए दो बार पानी का छिड़काव करने का नियम है लेकिन यहाँ पर तो कई दिनों तक पानी नहीं डाला जाता है और धूल के कारण बीमारी बढ़ रही है।
ठेकेदारों द्धारा मलवे की डम्पिंग निर्धारित जगहों के बजाये हर कहीं की जा रही है और बनाल क्षेत्र में तो स्थिति और भी चिंताजनक है जहां पर हर कहीं मलवा फेंका जा रहा है।इसके अलावा ठेकेदारों द्वारा बाहर से लाये गए मज़दूर रात को गांवों के नज़दीक हुड़दंग करते हैं लेकिन उन्हें भी कोई कन्ट्रोल नहीं करता है। जिससे स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही है। जिनके घरों को नुकसान हुआ है। उनमें पृथी चन्द, महावीर, कर्म सिंह, संजय कुमार, मीरा, कमला, बलबीर, सूरत सिंह, भाग सिंह, तुलसी देवी, शिवराम, वृजेश, शकुंतला, प्रीमी, पिंकू, सुरेश, भादर सिंह, शेर सिंह,प्रकाश, शोमा, नेक राम, जुल्मी, सोनू, लवली, ओंकार, अंजू, शीला, रत्न चन्द, प्रीतम, मेहर सिंह मृदुला,राजकुमार, कपिल देव, सुरेश कुमार, भादर सिंह, बालम राम,बिमला, लीला देवी इत्यादि शामिल हैं।