
20 मई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल, ट्रेड यूनियनों ने सरकार पर लगाए जनतांत्रिक अधिकार खत्म करने के आरोप
रजनीश शर्मा | हमीरपुर
देश की प्रमुख ट्रेड यूनियनें, जिनमें सीटू, इंटक, एटक, एचएमएस और अन्य केंद्रीय कर्मचारी संगठन शामिल हैं, 20 मई 2025 को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने जा रही हैं। यह हड़ताल केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई चार नई श्रम संहिताओं और बदले गए फौजदारी कानूनों के विरोध में होगी।
ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि मोदी सरकार ने 44 श्रम कानूनों को खत्म कर नए श्रम संहिता कानून लाए हैं, जो मजदूरों के यूनियन बनाने, हड़ताल करने और प्रदर्शन करने के अधिकारों को सीमित कर देंगे। इसके साथ ही, नए फौजदारी कानूनों में किए गए संशोधनों के तहत धरना-प्रदर्शन को ‘संगठित अपराध’ की श्रेणी में रखा गया है, जिससे कठोर सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
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18 मार्च को दिल्ली में हुई ट्रेड यूनियनों की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 20 मई को देशभर में हड़ताल की जाएगी। यूनियनों का आरोप है कि सरकार बैंक, बीमा, कोयला, स्टील, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह, बिजली परियोजनाओं और राष्ट्रीय राजमार्गों को निजी हाथों में सौंपने के लिए मजदूरों की आवाज दबाना चाहती है।
हिमाचल प्रदेश में भी इस हड़ताल की तैयारियों को लेकर 27 मार्च को शिमला में बैठक होगी, जिसमें विभिन्न ट्रेड यूनियनों के राज्य स्तरीय नेता शामिल होंगे।
सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉ. कश्मीर सिंह ठाकुर ने कहा कि “यह सरकार लोकतांत्रिक अधिकारों को खत्म कर रही है और मजदूरों की आवाज दबाने के लिए कठोर कानून ला रही है। हम इसका हर स्तर पर विरोध करेंगे और 20 मई की हड़ताल को सफल बनाएंगे।”