
चैत्र नवरात्रि 2025: महत्व, तिथि और विक्रम संवत का आरंभ
पोल खोल न्यूज़ डेस्क | हमीरपुर
चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होता है। इस वर्ष, चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025 से शुरू होकर 6 अप्रैल 2025 तक मनाई जाएगी। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना या कलश स्थापना की जाती है, जो शुभ मुहूर्त में संपन्न होती है। इस वर्ष घटस्थापना का मुहूर्त सुबह 6:13 बजे से 10:22 बजे तक रहेगा।
चैत्र नवरात्रि का महत्व
चैत्र नवरात्रि विशेष रूप से देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पर्व है। इन नौ दिनों में भक्त मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। यह पर्व आत्मशुद्धि, शक्ति और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
इसके अलावा, चैत्र नवरात्रि से ही विक्रम संवत का आरंभ होता है, जो हिंदू नववर्ष की शुरुआत को दर्शाता है। यह संवत भारत के पारंपरिक पंचांग का हिस्सा है और धार्मिक व सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष विक्रम संवत 2082 की शुरुआत 30 मार्च 2025 से होगी।
विक्रम संवत का महत्व
विक्रम संवत भारत का पारंपरिक हिंदू पंचांग है, जिसे राजा विक्रमादित्य ने ईसा पूर्व 57 में स्थापित किया था। यह चंद्र-सौर पंचांग पर आधारित है, जिसका उपयोग धार्मिक आयोजनों, पर्व-त्योहारों और शुभ कार्यों के लिए किया जाता है। इस संवत के अनुसार तिथियों की गणना होती है, जिससे हिंदू समाज अपने धार्मिक अनुष्ठानों को निर्धारित करता है।
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मां दुर्गा की सवारी और विशेषता
इस वर्ष, देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी, जिसे शुभ संकेत माना जाता है। शास्त्रों में देवी की हाथी की सवारी को बहुत शुभ माना गया है, जो सुख-समृद्धि का प्रतीक है। नवरात्रि के दौरान, मां दुर्गा को लौंग, इलायची, सुपारी और पान चढ़ाने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इन वस्तुओं को अर्पित करने से भक्तों को धन-संपदा, सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि व्रत और पूजन विधि
नवरात्रि के दौरान श्रद्धालु उपवास रखते हैं और देवी दुर्गा की आराधना करते हैं। घरों में कलश स्थापना के साथ अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है। भक्तगण रोजाना मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करते हैं और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।