
डीसी बिलासपुर का अदालत में आधा-अधूरा हलफनामा, हाईकोर्ट ने जताई निराशा
पोल खोल न्यूज़ | शिमला
अदालत में आधा-अधूरा हलफनामा दाखिल करना जिला बिलासपुर के डीसी को भारी पड़ा है। हाईकोर्ट ने अधूरे हलफनामे पर निराशा जताई है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधवालिया व न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने डीसी के इस रवैये पर कड़ा संज्ञान लेते हुए उन्हें निजी तौर पर अदालत में पेश होने का आदेश जारी किया है। वहीं, खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि वे जिला बिलासपुर के डीसी के हलफनामे से निराश हैं। अदालत ने कहा कि 10 अप्रैल को पारित विस्तृत आदेश को ध्यान में रखते हुए डीसी बिलासपुर के शपथ पत्र में आधी अधूरी जानकारी दी गई है।
वहीं, हाईकोर्ट ने शपथ पत्र का अवलोकन करने के बाद कहा कि डीसी ने अदालती आदेश का स्पष्ट अध्ययन नहीं किया है। न ही डीसी ने आदेश के निहितार्थ और अदालत के प्रयासों को अनुभव किया है। ऐसे में डीसी को अदालत में हाजिर होने का आदेश जारी किया जाता है। हलफनामे में अतिक्रमण हटाने को लेकर पहचाने गए व्यक्तियों के विवरण, अतिक्रमण की प्रकृति, समय और नए हाईवे पर अतिक्रमण के प्रभाव के संबंध में कई पहलुओं पर प्रकाश डालने के लिए अदालत में उनके निजी तौर पर मौजूद रहने की जरूरत है। खंडपीठ ने कहा कि डीसी को अदालत में हाजिर होकर वहां की कार्रवाई को समझने के साथ-साथ उसे उचित सम्मान देने के लिए और अधिक बेहतर हलफनामा व स्पष्टीकरण देना होगा। हाईकोर्ट ने अब मामले की सुनवाई 21 जुलाई को तय की है।
ये भी पढ़ें: हिमाचल : तबाही के बीच तीन और शव मिले, 34 लापता, वायुसेना से मांगी मदद
उपरोक्त मामला नेशनल हाईवे पर अतिक्रमण से जुड़ा है। इस मामले में हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल को जारी आदेश में कहा था कि अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ एनएच (भूमि एवं यातायात) नियंत्रण अधिनियम 2002 के तहत सक्षम प्राधिकारी कार्रवाई करेंगे। साथ ही सक्षम प्राधिकारी से बेदखली के आदेश के बाद उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाले अनाधिकृत निर्माण को हटाने के लिए आवश्यक सहायता दी जाएगी। डीसी बिलासपुर ने कीरतपुर मंडी खंड में अनाधिकृत निर्माणों की संख्या और इस संबंध में उठाए कदमों पर रिपोर्ट पेश की थी। डीसी ने हाईवे पर अनाधिकृत निर्माण कार्यों के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई का भरोसा दिया था। डीसी ने अवैध भवनों को ध्वस्त करने और उन्हें बिजली-पानी न देने का भरोसा भी दिलाया था।
आलम ये था कि फोरलेन निर्माण के बाद हाईवे के किनारे अनाधिकृत और अनियोजित निर्माण कई गुना बढ़ गए थे। हाईकोर्ट ने एनएचएआई द्वारा लिखे 2023 के पत्र का अवलोकन करने पर पाया कि नेशनल हाईवे पर कीरतपुर-मंडी-मनाली खंड में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण किया जा रहा है। इससे सुरक्षा का खतरा पैदा होने के साथ ही हाईवे के निर्माण का उद्देश्य विफल हो रहा है। ऐसे में परियोजना क्षेत्र में ब्लैक स्पॉट विकसित होंगे और सड़क हादसों का खतरा बढ़ेगा। हाईकोर्ट ने इन्हीं सब बिंदुओं पर डीसी से स्पष्ट रिपोर्ट तलब की थी। अब डीसी को अगली सुनवाई में खुद मौजूद रहना होगा।