
हिमाचल में हर कर्मचारी को एक बार दुर्गम क्षेत्र में सेवाएं देना अनिवार्य
पोल खोल न्यूज़ | शिमला
हिमाचल प्रदेश में अब हर कर्मचारी और अधिकारी को अपने सेवाकाल के दौरान एक बार दुर्गम, ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में सेवाएं देना अनिवार्य कर दिया गया है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की फटकार के बाद मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों और निगम-बोर्डों के प्रबंध निदेशकों को निर्देश जारी किए हैं। मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि एक ही कर्मचारी को बार-बार दुर्गम और जनजातीय क्षेत्रों में तैनाती न दी जाए। निर्देशों का पालन न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
भारती राठौर बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के निष्पक्ष और संतुलित स्थानांतरण सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किया है। मुख्य सचिव की ओर से जारी पत्र में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, संभागीय आयुक्तों, उपायुक्तों और बोर्डों, निगमों, सरकारी विश्वविद्यालयों व अन्य स्वायत्त निकायों के प्रबंध निदेशकों/मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा गया है।
बता दें कि यह फैसला हाईकोर्ट की ओर से कुछ कर्मचारियों की कथित मनमानी और बार-बार दुर्गम व आदिवासी क्षेत्रों में तैनाती को गंभीरता से न लेने के बाद उठाया गया है, जबकि कई कर्मचारी अपनी पूरी सेवा के दौरान ऐसी तैनाती से पूरी तरह बचते रहे। न्यायालय ने अपने आदेश में राज्य के सभी क्षेत्रों में कर्मचारियों की समान तैनाती की आवश्यकता पर जोर दिया है। सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि प्रत्येक कर्मचारी अपनी सेवा के दौरान कम से कम एक कार्यकाल जनजातीय या दुर्गम क्षेत्र में अवश्य पूरा करे। यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि किसी कर्मचारी को बार-बार ऐसे क्षेत्रों में न भेजा जाए, जिससे असंतोष और पक्षपात की भावना पैदा हो।
आपको बता दें कि सरकार ने सभी विभागों को 10 जुलाई 2013 को जारी स्थानांतरण संबंधी व्यापक दिशानिर्देश (सीजीपी-2013), विशेष रूप से पैरा 12 और 12.1 की याद दिलाई है, जिसमें पहले से ही कर्मचारियों की सेवा के दौरान कम से कम एक बार जनजातीय, दुर्गम और दूरस्थ क्षेत्रों में अनिवार्य तैनाती का प्रावधान है। अब नए निर्देशों में दोहराया गया है कि स्थानांतरण आदेश सावधानी से जारी किए जाने चाहिए। मुख्य सचिव ने सभी विभागों से वर्तमान पोस्टिंग पैटर्न की समीक्षा करने को भी कहा है। उन्होंने कहा कि अनुपालन की निगरानी और शिकायतों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए एक डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम भी शुरू किया जा सकता है।