
-कांग्रेस अंतिम बार 1996 में जीती थी हमीरपुर लोकसभा सीट
-लोकसभा चुनावों से पहले हमीरपुर, बिलासपुर ऊना में बढ़ी सियासी सरगर्मियां
-सीएम, डिप्टी सीएम के इलाके की लोकसभा सीट अब कांग्रेस के लिए बनी प्रतिष्ठा का प्रश्न
रजनीश शर्मा । हमीरपुर
हमीरपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस अपने किन-किन प्रत्याशियों पर लोकसभा चुनाव में दांव खेलेगी, इस पर माथापच्ची शुरू हो गई है। भाजपा के लिए हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के सीएम और डिप्टी सीएम के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए 2008 से लगातार चुनाव जीत रहे अनुराग ठाकुर फिर से मैदान संभालेंगे । वहीं कांग्रेस के लिए इस क्षेत्र में उम्मीदवार का चयन करना एक चिंतनीय विषय बनता जा रहा है। लोकसभा चुनाव का बिगुल अभी नहीं बजा है, परंतु अभी से ही कांग्रेस के भावी प्रत्याशियों की छंटनी के लिए मंथन चल पड़ा है।
भाजपा की सूची में वर्तमान सांसद अनुराग ठाकुर के अलावा फिलहाल किसी और नाम की कोई चर्चा नहीं है। लेकिन कांग्रेस में घुमारवीं के विधायक राजेश धर्माणी, हमीरपुर से कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा , सीएम के राजनीतिक सलाहकार सुनील शर्मा बिट्टू, सुजानपुर से कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा के बेटे अभिषेक राणा, कुटलेहड़ से कांग्रेस के सैनिक छवि से लवरेज कर्नल धर्मेंद्र पटियाल और ऊना से सतपाल सिंह रायजादा जैसे नाम छन छन कर सामने आने लग पड़े हैं । इन नामों पर चर्चा इसलिए भी कांग्रेस के अंदर होना शुरू हो चुकी है कि एक तो इन सब के खिलाफ भाजपा के पास कुछ भी बोलने को नहीं है और दूसरा कांग्रेस भी स्वच्छ छवि के व्यक्ति को मैदान में उतार हमीरपुर लोकसभा सीट में 25 सालों से भाजपा के विजय रथ के पहिए थामने की कोशिश में है।
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कर्नल धर्मेंद्र पटियाल और डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा रेस में आगे
फिलहाल कर्नल धर्मेंद्र पटियाल और डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा हमीरपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस की पहली पसंद बनते जा रहे हैं। कर्नल धर्मेंद्र पटियाल कांग्रेस के सैनिक फ्रंटल संगठन में हमेशा सक्रिय रहे हैं और ईमानदार छवि उन्हें लोगों के बीच विशेष पहचान बनाती है जबकि डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा सरकारी नौकरी छोड़ विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। उस वक्त नामांकन से चंद घंटे पूर्व टिकट आवंटन में देरी के डॉक्टर पुष्पेंद्र को नुकसान उठाना पड़ा। मृदुभाषी पुष्पेंद्र को इस वक्त कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री का नजदीकी होने का पूरा लाभ मिल रहा है।
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भाजपा को अनुराग के साथ मोदी फैक्टर का सहारा
भाजपा को इस बार फिर से अनुराग के साथ साथ मोदी फैक्टर का सहारा है, लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के फैलाए जाल को वे कैसे भेद पायेंगे, यह यक्ष प्रश्न पार्टी आलाकमान के लिए चुनौती बन गया है। इस समय कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री जैसे नेताओं का प्रभाव हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। भाजपा के पास लोकसभा क्षेत्र की 17 विधानसभा सीटों पर सिर्फ पांच पर बढ़त हासिल है। हमीरपुर जिला में भाजपा के पास फिलहाल एक भी विधानसभा सीट नहीं है जबकि ऊना में केवल एक ही सीट है। ऐसे में मोदी फैक्टर कितना हावी प्रभावी रहता है, इस पर कांग्रेस भी जमा घटाव निर्भर करेगा।
अनुराग 4 बार, पराशर, धूमल, चंदेल 3- 3 बार जीते चुनाव
हमीरपुर लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1952 में निर्दलीय आनंद चंद ने जीता। 1967 में कांग्रेस के प्रेम चंद वर्मा जीते। 1971 में कांग्रेस के नारायण चंद पराशर सांसद बने, 1977 में जनता पार्टी के ठाकुर रणजीत सिंह, 1980, 1984 में फिर कांग्रेस के नारायण चंद पराशर चुनाव जीत गए। 1989, 1991 के चुनावों में भाजपा के प्रेम कुमार धूमल सांसद बने। 1996 में विक्रम सिंह ने कांग्रेस की टिकट चुनाव जीता। भाजपा के सुरेश चंदेल ने 1998, 1999 और 2004 के तीन लोकसभा चुनाव हमीरपुर सीट से जीते। 2007 के चुनाव में भाजपा के प्रेम कुमार धूमल ने फिर लोकसभा चुनाव जीता। वर्ष 2008, 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रेम कुमार धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर लगातार जीतते आ रहे हैं।