
Diksha Thakur | Hamirpur
1 दिसंबर को हर साल विश्व ए़ड्स दिवस मनाया जाता है। यह एचआईवी संक्रमण से होने वाली जानलेवा बीमारी एड्स (एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम) के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। एड्स एक खतरनाक बीमारी है, जिससे बचाव ही इलाज है। इस बीमारी में शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और बीमारियों से बचाव नहीं कर पाता। यह एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस वायरस) से इन्फेक्शन की वजह से होता है।
इसके लक्षण
एचआईवी वायरस के संक्रमण के तीन चरण होते हैं। एक्यूट एचआईवी इन्फेक्शन का सबसे पहला चरण होता है, जिसमें फ्लू जैसे लक्षण नजर आते हैं। इसके बाद दूसरा स्टेज क्लीनिकल लेटेंसी होता है। इस चरण में आमतौर पर कोई लक्षण नजर नहीं आते और कई सालों तक यह स्टेज रह सकता है। इसके बाद आखिरी स्टेज एड्स होता है।
- कमजोरी
- बुखार
- अधिक पसीना आना
- ठंड लगना
- रैशेज
- लिंफ नॉड में सूजन
- शरीर में दर्द
- थकावट
- डायरिया
- मुंह में छाले
- उल्टी
- वजन कम होना
एड्स का इलाज
एंटी-रेट्रो वायरल ट्रीटमेंट के अलावा इसका कोई इलाज नहीं है, जो वायरस रेप्लीकेशन को धीमा करने में मदद कर सकता है। इसके खिलाफ एक सुरक्षित और प्रभावी टीका बनाने का प्रयास जारी है, जिसके बन जाने से लोगों को एचआईवी से संक्रमित होने से बचाने में काफी मदद मिलेगी।
क्यों मनाया जाता है एड्स डे
इस दिन एड्स से बचाव के तरीकों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है। एड्स को लेकर हमारे समाज में कई मिथक हैं, जिनके बारे में लोगों में जानकारी की काफी कमी है। एड्स कैसे फैलता है, इससे बचाव के तरीके, इसके टेस्ट, इससे जुड़े मिथक आदि के बारे में जानकारी देने की कोशिश की जाती है। लोगों में एचआईवी पॉजिटिव लोगों को लेकर कई गलत अवधारणाएं होती हैं, इस दिन उन्हें भी दूर करने की कोशिश की जाती है। इस दिन पूरे समाज को एक-जुट होकर एड्स से लड़ने के लिए प्रेरित करने की कोशिश की जाती है।
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इस दिन का इतिहास
पहली बार वर्ल्ड एड्स डे 01 दिसंबर 1988 को मनाया गया था। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के 2022 के डाटा के अनुसार दुनिया भर में लगभग 3.6 करोड़ लोग एचआईवी पॉजिटिव हैं। ऐसे में एड्स से बचाव और उसकी रोकथाम के लिए लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक होना बहुत ही जरूरी है और इसी मकसद के साथ वर्ल्ड एड्स मनाने की शुरूआत की गई थी।
विश्व एड्स दिवस की थीम
इस साल वर्ल्ड एड्स डे की थीम लैट कम्यूनिटीज लीड है। एड्स की रोकथाम में समाज की अहम भूमिका के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए, इस थीम को चुना गया है। साथ ही, अब तक एड्स के बचाव में समाज ने जो महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं, उनकी सराहना करने के लिए भी इस थीम को चुना गया है। एड्स या एचआईवी के बारे में समाज में मौजूद गलत अवधारणा के कारण, इसकी रोकथाम करना काफी मुश्किल होता है। समाज में नीची नजरों से देखे जाने की वजह से, लोग खुलकर इस बीमारी के बारे में बात नहीं करते और इससे बचाव नहीं हो पाता है। इस स्थिति को बदलने के लिए लैट कम्यूनिटटीज लीड का थीम चुना गया है।
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एचआईवी एड्स के संक्रमण की वजह
- अनसेफ सेक्स (बिना कंडोम के)
- संक्रमित खून चढ़ाने से
- एचआईवी पॉजिटिव महिला के बच्चे में
- एक बार इस्तेमाल की जानी वाली सुई को दूसरी बार यूज़ करने से
- इन्फेक्टेड ब्लड यूज़ करने से
ऐसे कर सकते हैं बचाव
कंडोम का इस्तेमाल: शारीरिक संंबंध बनाते समय प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करें। किसी भी प्रकार के शारीरिक संबंध बनाते समय, कंडोम का इस्तेमाल करें। शारीरिक संबंध बनाने से, एचआईवी वायरस का संक्रमण होने की संभावना काफी अधिक होती है। इसलिए हमेशा सुरक्षित तरीके से शारीरिक संबंध बनाएं और हर बार नए कंडोम का इस्तेमाल करें।
इंजेक्शन शेयर न करें: कई लोगों के एक ही इंजेक्शन के इस्तेमाल करने से एचआईवी वायरस फैल सकता है। इसलिए हमेशा इंजेक्शन लेते समय इस बात का ध्यान रखें कि वह पहले नया हो और पहले किसी ने उसका इस्तेमाल न किया हो। सिर्फ दवाइयों के ही नहीं, बल्कि टैटू बनाने के लिए इस्तेमाल की गए सुई से भी एचआईवी का संक्रमण हो सकता है। इसलिए टैटू बनवाते समय खास सावधानी बरतें।
टेस्ट करवाएं: अगर आप शारीरिक संबंध बना रहे हैं, तो नियमित तौर से एसटीआई की जांच कराएं। इससे समय रहते इसका पता चल जाता है और इलाज किया जा सकता है। इसके अलावा, अपने पार्टनर का भी नियमित रूप से टेस्ट करवाएं।