रजनीश शर्मा । हमीरपुर
लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी यह है कि जिस विपक्ष को परफॉर्म करना चाहिए, वो ऐसा नहीं कर पा रहा। इसके लिए आप पीएम मोदी को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते।
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने प्रचंड जीत हासिल की है। बीजेपी ने कांग्रेस से राजस्थान और छत्तीसगढ़ छीन लिया है, जबकि मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी की है। आइए डंके की चोट पर जानते हैं इस चुनाव के बड़े प्रभाव क्या हैं ?
पहले जानते हैं कि इन चुनावों में बीजेपी के लिए क्या है… मोदी मैजिक और जीत का सिलसिला जारी है। सबसे बड़ी दुख की खबर ये है कि विपक्ष हो या मीडिया या कार्यकर्ता… उनको समझ नहीं आता कि बीजेपी की जीत की प्लेबुक हर बार नए एडिशन के साथ आकर कैसे जनमत को अपने पक्ष में करके चुनाव जीत जाती है।
मध्य प्रदेश में गुजरात का मॉडल लागू
मध्य प्रदेश में अगर वास्तव में एंटी इंकमबेंसी यानी सत्ता विरोधी लहर रही होगी, तो वहां पर मंत्रियों और सांसदों को चुनाव में उतारकर बीजेपी ने एक असेंबली इलेक्शन को नेशनल लेवल का चुनाव बना दिया। बीजेपी राज्य के चुनाव में थोड़ा उबाल और थोड़ा एक्साइटमेंट लेकर आई. यही वजह है कि बीजेपी की जीत मध्य प्रदेश में ऐतिहासिक जीत है। पार्टी ने यहां चौथी बार जीत हासिल की है। एक तरीके से यहां गुजरात का मॉडल लागू हो गया। बीजेपी को 50 फीसदी के आसपास का वोट शेयर मिला। ये किसी भी चुनाव में आगे की चीजों को समझने के लिए अपने आप में बहुत बड़ा परिवर्तन है।
छत्तीसगढ़… जिसके बारे में हम मानकर बैठे थे कि यहां भूपेश बघेल सत्ता बचा लेंगे। यहां बीजेपी ने देर से काम शुरू किया। यहां शायद करप्शन के मुद्दे के कारण कांग्रेस को नुकसान हुआ। राज्य में बीजेपी का अटैक लगातार साम, दाम, दंड, भेद के तौर पर बना रहा। छत्तीसगढ़ की हार कांग्रेस के लिए बहुत बुरी खबर है।
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कांग्रेस की गारंटियां हर राज्य में चले, जरूरी नहीं
राजस्थान को हम ‘किन कॉन्टैस्ट’ कहते थे। लेकिन यहां पर अशोक गहलोत ने स्कीम के बारे में एक कहानी खड़ी करने की कोशिश की। कांग्रेस ने समझा कि लाभार्थी योजनाओं को हम भी प्लेबुक बना लेते हैं। कांग्रेस अलग-अलग राज्यों में लाभार्थी के नाम पर, फ्रीबिज के नाम पर बड़ी स्कीमें ला रही हैं. बेशक कर्नाटक में ये रणनीति चली, मगर ये हर राज्य में चले ये जरूरी नहीं। हिंदी हार्टलैंड में कांग्रेस की गारंटियां नहीं चली, इसके कई कारण हैं। इसके बारे में बाद में चर्चा की जा सकती है।
तेलंगाना में कांग्रेस को एंटी इंकमबेंसी की वजह से मिली जीत
अब तेलंगाना की बात कर लेते हैं। यहां कांग्रेस के लिए अच्छी खबर है, लेकिन ये केसीआर की पार्टी बीआरएस के एंटी इंकमबेंसी के कारण है। केसीआर पर करप्शन का चार्ज चल रहा था, जिसका चुनाव में असर हुआ। लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात है कि यहां बीजेपी के वोट 6 फीसदी बढ़े हैं. इसका मतलब ये है कि बीजेपी लोकसभा चुनाव के लिए यहां बड़ा प्ले रख सकती है।
चुनावों में कांग्रेस के लिए क्या है?
इन चुनावों में कांग्रेस की हार के कई कारण हैं। लेकिन सबसे बड़ी गलती थी मोदी के प्लेबुक को कॉपी करना। आप मोदी के प्लेबुक को कॉपी करने की कोशिश तो कर रहे हैं, लेकिन जनता और कार्यकर्ता की राजनीति के बजाय सोशल मीडिया के इको चेंबर में ही इसे फोकस रखकर अपनी बड़ी उपलब्धि समझ रहे हैं। कांग्रेस की रणनीति की ये बड़ी नाकामी है. इसे एग्जामिन करने में कांग्रेस कितनी ईमानदारी रहेगी… ये आगे सामने आएगा. कांग्रेस की हार का एक और असर बड़े पैमाने पर India Alliance पर पड़ेगा। इस विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस अब कमजोर स्थिति में पहुंच गई है।
हिंदी बेल्ट में कांग्रेस पिछड़ी
पूरे हिंदी हार्टलैंड में कांग्रेस पार्टी बीजेपी से पिछड़ गई है। जहां बीजेपी को नीचे लाने के लिए कांग्रेस का उभरना जरूरी है, वहां कांग्रेस नॉन परफॉर्मिंग रही है। जहां कांग्रेस परफॉर्म कर रही है, वहां बीजेपी मुकाबले में है ही नहीं. साउथ में कांग्रेस का गेम जरूर है, लेकिन India Alliance जो वर्क इन प्रोग्रेस में था… अब उसमें नई चुनौतियां आ जाएंगी।
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2024 के लिए बीजेपी की ताकत हुई मजबूत
इसलिए इस चुनाव का मैसेज बड़ा स्पष्ट है। 2024 के लिए बीजेपी की ताकत और मजबूत हुई है, उसे रोकना और बड़ा मुश्किल है। जो लोग लोकतंत्र में विश्वास करते हैं, उनकी बड़ी आशा थी कि कुछ राज्यों में बीजेपी को आप चुनौती दे दें, वहां कम से कम विपक्ष की सरकारें रहे। ऐसे में देश के लोकतंत्र में एक बैलेंस बना रहेगा।
विपक्ष का सिमटना चिंता की बात
इन चुनावों से बुरी बात ये है कि विपक्ष दरअसल लोकतंत्र के लिए कमजोर और फेल हो रहा है। बीजेपी लगातार अपना गेम बढ़ाए जा रही है.। चुनावों को जिस तरह से मीडिया कवर करता है। ओपिनियन पोल सामने आते हैं…उसमें ध्यान देने वाली बात ये है कि हर इस एनालिसिस को और नैरेटिव को बीजेपी हर बार गलत साबित करती है। ये कोई खुश होने वाली बात नहीं है. बीजेपी के समर्थक बीजेपी को बधाई दे सकते हैं, लेकिन इसमें चिंता की बात है कि विपक्ष खत्म हो रहा है।
इन चुनावों से 2024 का रास्ता साफ है। लेकिन जाहिर तौर पर 2024 का लोकसभा चुनाव बोरिंग होने जा रहा है। क्योंकि बीजेपी को टक्कर देने वाली कोई पार्टी नहीं है।