एजुकेशन में अव्वल हिमाचल में शिक्षा बोर्ड की सालाना परीक्षाएं नजदीक हैं। छात्रों पर मैरिट में आने का प्रेशर रहता है। साथ ही शिक्षा बोर्ड की तैयारियों पर भी हर किसी की पैनी नजर रहती है। आखिर कैसे इन परीक्षाओं से पार पाने में जुटे हैं प्रदेश के छात्र। परदे के पीछे कितना बड़ा रहता है पेरेंट्स और स्टूडेंट्स का रोल, बता रहा है डंके की चोट पर ….
रजनीश शर्मा । हमीरपुर
परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन के दबाव के कारण सबसे ज्यादा बच्चे तनाव में रहते हैं। इससे बचने के लिए परीक्षा के समय तनाव से बचने के लिए सबसे पहले अभिभावक और अध्यापक का सहयोग होना बेहद जरूरी है। कई बार बच्चे को तनाव देने में सबसे ज्यादा उसके अभिभावक और उसके शिक्षक ही होते हैं। यदि दोनों बच्चे की लगभग परीक्षा आने से पहले आधा घंटा भी काउंसिलिंग करें, तो उसे तनाव कतई नहीं हो सकता, जिसमें खासतौर पर बच्चे को यह विश्वास दिलाया जाए कि वह केवल अपने एक्ट पर ध्यान दे, रिजल्ट के बारे में न सोचे। यानी दोनों बच्चे को खासतौर पर एक बेहतर अंक लेने का टारगेट न बताएं। बच्चे को कहा जाए कि जो भी रिजल्ट लेकर आएगा, वे उसके साथ हैं, लेकिन छात्र को यह बताया जाए कि आपका प्रदर्शन रिजल्ट को सोचकर न हो।
ये भी पढ़ें: आज का इतिहास : दिल्ली से मुंबई के बीच देश की पहली क्रॉस कंट्री मोटरकार रैली का उद्घाटन
बच्चों को बाहर खेलने भेजें
ये टिप्स अपनाएं
* तनाव से बचने के लिए एक्सरसाइज-योग करें
* पौष्टिक आहार-अच्छी नींद जरूर लें
* हर दिन हरी सब्जियां व ताजा खाना ही खाएं
* सोशल मीडिया से पूर्णतयः दूरी बनाएं रखें
* टाइम टेबल बनाएं और उसी के अनुसार पढ़ाई करें
* इस दौरान जंक फूड बिलकुल न खाएं
परीक्षा केंद्रों में खास इंतज़ाम
परीक्षा केंद्रों में तनाव मुक्त वातावरण देने के लिए भी बोर्ड ने इस बार विशेष प्रबंध किए हैं। हर सेंटर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। जो नकल करने ही नहीं, करवाने वालों पर भी नजर रखेंगे।
ये भी पढ़ें: बास्केट बाल और ताइक्वांडो की राष्ट्रीय स्पर्धा में चमकेंगे टौणी देवी के 8 खिलाड़ी
नहीं डराएगी फ्लाइंग स्क्वायड
परीक्षा केंद्रों में शांत एवं तनाव मुक्त वातावरण बनाने के लिए एक केंद्र में मात्र दो फ्लाइंग स्क्वायड ही भेजने की योजना है। फ्लाइंग में जाने वाले लोग भी आग्रह भाव से ही परीक्षा केंद्र में जाएंगे। भय का माहौल छात्रों पर नहीं बनने दिया जाएगा।
बोर्ड व शिक्षा विभाग मिलकर बेहतर वातावरण देने का प्रयास कर रहे हैं। नकल रोकने के लिए सीसीटीवी के बजाय प्रदेश के शिक्षक वर्ग का अहम रोल है। अभिभावक भी बच्चों को साकारात्मक माहौल व शांत मन से परीक्षा देने के लिए प्रेरित करें।