पोल खोल न्यूज़ डेस्क
काँगड़ा
प्रदेश हाईकोर्ट ने डीजीपी संजय कुंडू और कांगड़ा की एसपी शालिनी अग्निहोत्री को पदों से हटाने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने गृह सचिव को इसके बारे में शीघ्र ही जरूरी कदम उठाने के आदेश जारी किए। हाईकोर्ट ने उच्च अधिकारियों को ऐसे पदों पर नियुक्त करने के आदेश दिए, जहां से दोनों को मामले में दर्ज प्राथमिकी की जांच प्रभावित करने का अवसर न मिले।
हाईकोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा कि मामले में पता नहीं क्यों, गृह सचिव ने अपनी आंखें मूंद लीं। कोर्ट ने कहा कि केस की निष्पक्ष जांच और न्याय न केवल होना चाहिए, बल्कि दिखना भी चाहिए। इस सिद्धांत को देखते हुए अधिकारियों का मौजूदा पदों पर रहना वाजिब नहीं होगा। पालमपुर के कारोबारी निशांत कुमार शर्मा की सुरक्षा से जुड़े मामले पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए।
मामले में प्रार्थी निशांत ने अपने और परिवार की सुरक्षा के खतरे के संबंध में कोर्ट को ईमेल के माध्यम से अवगत करवाया था। ईमेल को आपराधिक रिट याचिका में तबदील करते हुए हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित कर एसपी शिमला और एसपी कांगड़ा को प्रार्थी को उचित सुरक्षा मुहैया करवाने के आदेश दिए। पिछली सुनवाई के दौरान एसपी कांगड़ा ने बताया था कि प्रार्थी की शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी में लगाए आरोपों की जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कांगड़ा को सौंपी जा चुकी है।
इसमें एसपी शिमला ने ऊंचे लोगों की संलिप्तता का अंदेशा जताया था। शिमला के एसपी की जांच में प्रथमदृष्टया पाया कि डीजीपी कारोबारी की ओर से बताए गए एक रसूखदार व्यक्ति के संपर्क में रहे। जांच में यह भी पाया कि डीजीपी ने 27 अक्तूबर को निशांत कुमार शर्मा को 15 मिस्ड कॉल कीं। यह बात भी सामने आई कि डीजीपी ने कारोबारी पर निगरानी रखी।
केस देरी से दर्ज करने का कारण नहीं बता पाईं एसपी कांगड़ा
एसपी कांगड़ा की ओर से मामले में देरी से प्राथमिकी दर्ज करने का कोई कारण नहीं बताया गया। एसपी कांगड़ा कोर्ट को यह भी नहीं बता पाईं कि मामले में एसपी शिमला की ओर की जांच में सामने लाए तथ्यों का उपयोग कांगड़ा में दर्ज प्राथमिकी की जांच में क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि इन तथ्यों के मद्देनजर मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए मामला अपने हाथों में लेने को मजबूर होना पड़ा।
यह है मामला
कारोबारी निशांत कुमार शर्मा ने 28 अक्तूबर को हाईकोर्ट को ईमेल के माध्यम से अपनी और अपने परिवार की जान को खतरे की बात लिखी थी। कारोबारी ने लिखा कि गुरुग्राम में भी उन पर हमला हो चुका है, जिसमें वह बच गए। वारदात की रिपोर्ट वापस लेने के लिए उन्हें दो बाइक सवार व्यक्तियों ने भागसूनाग और मैक्लोडगंज के बीच वाले रास्ते में रोक कर धमकाया। ईमेल के मुताबिक डीजीपी कार्यालय से उन्हें एक ही दिन में 14 फोन आए। उन्हें डीएसपी और एसएचओ पालमपुर ने भी फोन किए।
एसएचओ पालमपुर ने मैसेज कर बताया कि डीजीपी बात करना चाहते हैं इसलिए उन्हें डीजीपी कार्यालय में वापस कॉल कर लेनी चाहिए। कॉल बैक करने पर डीजीपी ने कहा कि निशांत शिमला आकर उनसे मिलें। जब उन्होंने कहा कि वह क्यों उनसे मिलें तो डीजीपी ने कहा कि उन्हें शिमला आकर उनसे मिलना ही होगा। ईमेल के माध्यम से निशांत ने हिमाचल के ही दो रसूखदार लोगों पर जबरन वसूली का दबाव बनाने की बात भी कही। कोर्ट की ओर से संज्ञान लेने के बाद ही प्रार्थी के आरोपों की प्राथमिकी कांगड़ा जिले में दर्ज की गई।