पोल खोल न्यूज़ डेस्क
शिमला
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया इन मशीनें को पेमेंट गेटवे उपलब्ध करवाएगा। मशीनों की टेस्टिंग शुरू कर दी गई है। ट्रायल के बाद 15 दिन के भीतर शिमला लोकल डिपो में इन मशीनों का इस्तेमाल शुरू हो जाएगा।
यात्रियों को कैशलेस सफर की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए नई हाईटेक ई-टिकटिंग मशीनें शिमला स्थित निगम मुख्यालय पहुंच गई हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया इन मशीनें को पेमेंट गेटवे उपलब्ध करवाएगा। मशीनों की टेस्टिंग शुरू कर दी गई है। ट्रायल के बाद 15 दिन के भीतर शिमला लोकल डिपो में इन मशीनों का इस्तेमाल शुरू हो जाएगा। प्रदेश के सभी डिपो में नई ई-टिकटिंग मशीनें उपलब्ध करवाई जाएंगी। कैशलेस भुगतान की सुविधा शुरू करने के लिए एचआरटीसी ने 4,500 एंड्रॉयड टिकटिंग मशीनें खरीदी हैं। ई-टिकटिंग मशीनों के जरिये यात्री यूपीआई के अलावा गूगल पे, पेटीएम, फोन पे या भीम एप से भी किराये का भुगतान कर सकेंगे। क्यूआर कोड स्कैन कर डिजिटल भुगतान भी कर सकेंगे।
एचआरटीसी के खाते में पैसा आते ही मशीन टिकट बनाकर देगी। यात्री के बैंक खाते से पैसा सीधे एचआरटीसी के खाते में जमा होगा। इससे खुले पैसे की समस्या भी हल हो जाएगी। नई ई-टिकटिंग मशीन में किराये के भुगतान के तीन विकल्प मौजूद होंगे। यात्री क्यूआर कोड स्कैनिंग, एटीएम कार्ड स्वैपिंग या नकदी देकर किराये का भुगतान कर सकेंगे। निगम की वोल्वो, विद्युत चालित, एसी, नॉन एसी, सुपर फास्ट और साधारण सभी श्रेणी की बसों में यह सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। 2010 में एचआरटीसी ने बसों में यात्रियों को मैनुअल टिकटें जारी करने के स्थान पर टिकटिंग मशीनों का प्रयोग शुरू किया था। मौजूदा समय में निगम के कंडक्टर लगभग 13 साल पुरानी मशीनें इस्तेमाल कर रहे हैं।
नई ई-टिकटिंग मशीनें हमारे पास पहुंच चुकी हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया इनके लिए पेमेंट गेटवे देगा। 15 दिन के भीतर शिमला लोकल डिपो में नई मशीनों का इस्तेमाल शुरू कर दिया जाएगा।- रोहनचंद ठाकुर, प्रबंध निदेशक, एचआरटीसी