पोल खोल न्यूज़ डेस्क | शिमला
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू 17 फरवरी को अपने कार्यकाल का दूसरा बजट पेश करने जा रहे हैं। स्वाभाविक है कि इस बजट में कई प्रमुख वर्गों को संतुष्ट करने का प्रयास हो सकता है। जहां पिछले बजट में सुक्खू सरकार ने ग्रीन एनर्जी स्टेट पर बल दिया था। वहीं, इस बजट में युवाओं को भी सुक्खू सरकार के बजट से ढेरों उम्मीदें हैं। हिमाचल की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। आपदा के बाद राज्य को पैरों पर खड़ा करने का संकल्प ले चुके मुख्यमंत्री सुक्खू के लिए बजट कड़ी परीक्षा से कम नहीं होगा। पूर्व भाजपा और कांग्रेस सरकारों की तरह ही हिमाचल प्रदेश में 14 महीने की सुक्खू सरकार भी आर्थिक संकट से जूझते हुए बजट प्रबंधन कर रही है। राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन पिछली देनदारियों और नए खर्चों का बोझ इतना ज्यादा है कि इसे लेकर आगे बढ़ना पहाड़ जैसी चुनौती है। 17 फरवरी को बतौर वित्त मंत्री मुख्यमंत्री सुक्खू वित्त वर्ष 2024-25 के बजट अनुमान पेश कर रहे हैं। वह इसमें भी आय बढ़ाने और खर्चे कम करने के लिए सख्त निर्णय ले सकते हैं। हालांकि, सामने लोकसभा चुनाव भी लक्ष्य में हैं तो बजट में कुछ लोकलुभावन घोषणाएं भी संभावित हैं।
हिमाचल की अर्थव्यवस्था दशकों से लंगड़ाती चल रही है। तमाम उपायों के बावजूद स्थिति आज भी जस की तस है। सुक्खू सरकार अपनी प्रमुख गारंटियों में से एक ओल्ड पेंशन को लागू कर लोगों से किए वादों का पहला पड़ाव पार कर चुकी है। वहीं, राज्य की महिलाओं को हर माह 1500-1500 रुपए देने की गारंटी को लागू करने की पहल भी जिला लाहौल स्पीति से हो चुकी है, लेकिन अभी गारंटियों की इस डगर पर आगे बढ़ने के लिए बहुत से तीखे मोड़ हैं। सरकार को अपने वादे के मुताबिक बिजली के 300 यूनिट मुफ्त देने की गारंटी को पूरा करना है।
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बजट में होगी इनकी घोषणा
इस दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति में सुधार और तीव्र विकास पर राज्य सरकार का विशेष ध्यान है। बजट भी इन्हीं बिंदुओं पर केंद्रित होगा। इसमें सरकार की ओर से प्रदेश को आत्मनिर्भर और देश का सबसे समृद्ध राज्य बनाने की दिशा में उठाए जाने वाले कदमों की भी झलक देखने को मिलेगी। सरकार सभी क्षेत्रों और सभी वर्गों के सर्वांगीण विकास के लिए दृढ़संकल्प है। किसानों को मेहनत का उचित मूल्य दिलाने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। इस बजट में इनकी घोषणा होगी।
बजट से बेरोजगारों को आस
प्रदेश के युवाओं का कहना है कि सरकार बेरोजगारों के लिए कुछ करे और रोजगार के अवसर मुहैया करवाए, ताकि युवाओं को नौकरी के लिए दर-दर भटकना न पड़े।
युवाओं का कहना है कि सरकार की तरफ से पहले से बेरोजगारों के लिए चलाई गई योजनाएं ठप पड़ चुकी हैं। बेरोजगारों के लिए सरकार कोई ऐसा प्रावधान करे, जिससे युवा स्वावलंबी बन सकें और उन्हें रोजगार के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़े। उनका कहना है कि आज युवा नशे में फंसता जा रहा है, जिसका एक सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी है। अगर युवाओं को समय पर रोजगार मिल जाए तो युवा नशे की चपेट में आने से भी बच सकता है।
तंगी का असर
बताते चलें कि आर्थिक तंगी का असर सरकार के 14 माह के कार्यकाल के दौरान ही नजर आने लगा है। प्रदेश में कुछ स्वास्थ्य सेवाएं लड़खड़ाने लगी हैं। बजट जारी न होने से निजी अस्पतालों ने फरवरी अंत तक सेवाएं बंद करने का एलान किया है। हिमकेयर योजना के तहत अस्पतालों की 150 करोड़ रुपए के करीब राशि फंसी है। वहीं, मरीजों को सेवाएं दे रही एक निजी लैब की भी 50 करोड़ रुपए की देनदारी है। हालांकि, किस्तों में बजट जारी किया जा रहा है।
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हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों का 12 फीसदी महंगाई भत्ता देने को है। सबकी आस अब मुख्यमंत्री के बजट भाषण पर ही टिकी है। हिमाचल को हरित राज्य बनाने के प्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के तहत एचआरटीसी की सभी डीजल बसों को इलेक्टि्रक बसों में बदलने की योजना है। पहले चरण में 300 इलेक्टि्रक बसें खरीदी जानी हैं। बजट की किल्लत के कारण बसों की खरीद प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है।
एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) के तहत केंद्र से बजट न मिलने के कारण प्रदेश के करीब 4000 बागवानों की करोड़ों की सब्सिडी जारी नहीं हो पाई है। करीब 10 सालों से बागवानों को एमआईडीएच के तहत खरीदे गए पावर टिल्लर, पावर स्प्रेयर, वीडर और एंटी हेलनेट पर मिलने वाली 50 फीसदी सब्सिडी नहीं मिल पाई है। बागवान संगठन केंद्र और प्रदेश सरकार से लंबित सब्सिडी जल्द से जल्द जारी करने की मांग उठा रहे हैं।
बताते चलें कि केंद्र सरकार ने पिछले साल बजट में मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के बजट में भारी कटौती की थी। इस साल के अंतरिम बजट में भी कोई प्रावधान नहीं किया गया है। एमआईएस के तहत सेब और नींबू प्रजाति के फलों की खरीद की जाती है। जिसका भुगतान केंद्र और राज्य सरकार 50-50 फीसदी के हिसाब से करती है। सड़कों और पुलों के निर्माण के लिए केंद्र सरकार से 574 करोड़ रुपए मांगे हैं। सीआरआईएफ के तहत सरकार की ओर से 16 डीपीआर केंद्र सरकार को भेजी गई हैं। इसके अलावा 23 नए पुलों के निर्माण के लिए सरकार ने केंद्र से 174 करोड़ की डिमांड की है। ये पैसा भी हिमाचल सरकार को नहीं मिला है।