
पोल खोल न्यूज़ | बिलासपुर
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर में जून के बाद कभी भी किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू हो सकती है। एम्स प्रबंधन ने मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम के तहत इसके लिए कानूनी मंजूरी लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। विभाग में सेवाएं शुरू करने के लिए ऑपरेशन थियेटर समेत 70 से 80 फीसदी उपकरण भी स्थापित कर दिए हैं। नेफ्रोलॉजी विभाग में सीनियर और जूनियर रेजिडेंट के पद भी भरे जा चुके हैं। प्रबंधन के अनुसार तीन से छह माह में किडनी ट्रांसप्लांट शुरू कर दिया जाएगा। एम्स के नेफ्रोलॉजी विभाग की ओर से किडनी से संबंधी सभी रोगों का उपचार किया जा रहा है।
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बता दें कि वर्तमान में यहां पांच डायलिसिस मशीनें काम कर रही हैं। नेफ्रोलॉजी सेवाओं में किडनी बायोप्सी, टनल्ड हेमोडायलिसिस कैथेटर की भी सुविधा मिल रही है। पिछले दो साल में एम्स बिलासपुर में कई बड़ी सेवाएं प्रदेश के लोगों के लिए शुरू की गई हैं। इसमें कई विभागों की आईपीडी, कार्डियोलॉजी जैसी सुविधाएं प्रमुख हैं। संस्थान में किडनी डायलिसिस और आईसीयू डायलिसिस भी किया जा रहा है। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने रेडियोथेरेपी ब्लॉक का शुभारंभ भी किया है। जहां पर अब प्रदेश के कैंसर मरीजों को उच्च स्तरीय रेडियोथेरेपी की सुविधाएं दी जा रही हैं। रेडियोथेरेपी ब्लॉक में हाई एनर्जी लीनियर एक्सेलरेटर, ब्रेकी थेरेपी, फोर-डी सिटी सिम्युलेटर जैसी उन्नत तकनीक से चिकित्सा प्रदान की जा रही है।
प्रदेश में आईजीएमसी एकमात्र स्वास्थ्य संस्थान था जहां पर किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा मिलती थी। लेकिन वह भी कोरोना महामारी के बाद से बंद है। देश के निजी अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट का खर्च 8 से 12 लाख के बीच आता है। लेकिन एम्स जैसे संस्थानों में इसका खर्च दो गुना तक कम है।
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वहीं, एम्स प्रबंधन बिलासपुर ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट के लिए एम्स बिलासपुर डोनर प्रोग्राम भी शुरू करेगा। प्रोग्राम के तहत ट्रांसप्लांट शुरू करने के लिए विशेष ओपीडी में मरीजों को चिह्नित किया जाएगा। इसमें मरीज और किडनी देने वाले दोनों का परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद सभी जांचें कराई जाएंगी। सब कुछ सही मिलने पर ही ट्रांसप्लांट हो सकेगा। एम्स बिलासपुर किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने की तैयारी में है। मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम (टीएचओए) के तहत कानूनी मंजूरी लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उम्मीद है अगले तीन से छह महीनों में संस्थान में किडनी प्रत्यारोपण सेवाएं शुरू हो जाएंगी।