क्यों मनाया जाता है रक्षा बंधन…? जानें इतिहास और महत्व
पोल खोल न्यूज़ डेस्क | हमीरपुर
रक्षा बंधन, या राखी, भाई-बहनों के बीच अटूट प्यार को दर्शाने के लिए मनाया जाता है। यह त्यौहार प्रतिवर्ष श्रावण मास (सावन माह) की पूर्णिमा तिथि (पूर्णिमा दिवस) पर पड़ता है। इस दिन बहनें पूजा-अर्चना करके भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधती हैं और उनके स्वास्थ्य व जीवन में सफल होने की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों की रक्षा करने, उन्हें प्यार करने और बिपरीत स्थिति में उनकी मदद करने के लिए हमेशा तैयारी रहने की वचन देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है की रक्षाबंधन की शुरुआत कब और कहां से हुई, यह परंपरा कैसे चली आ रही है। आइए जानते हैं…
इसको लेकर धार्मिक शास्त्रों में कई कथाएं प्रचलित है। पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार देवता और राक्षसों के बीच में भयंकर युद्ध चल रहा था और उसे युद्ध में इंद्रदेव राजा बलि से हार गए थे। इसके बाद इंद्रदेव की पत्नी इंद्राणी ने भगवान विष्णु से विधि विधान पूर्वक प्रार्थना की थी, जिसके बाद इंद्र की पत्नी इंद्राणी को भगवान विष्णु ने एक पवित्र धागा दिया तब भगवान विष्णु ने इंद्राणी से कहा यह पवित्र धागा अपने पति की कलाई पर बांध दें।
इसके बाद इंद्राणी ने यह धागा अपनी पति की कलाई में बांध दिया। जिसके बाद देवता और आश्रम में हो रहे भयंकर युद्ध में इंद्रदेव विजयी हुए।
महाभारत में एक बार युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से पूछा कि क्या मैं सभी संकटों से कैसे पार कर सकूंगा। इसके लिए कोई उपाय बताएं। तब भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा था कि वह अपने सैनिकों को रक्षा सूत्र बांधे। इसके बाद युधिष्ठिर ने अपनी पूरी सेना को रक्षा सूत्र बांधा था, जिसके बाद युद्ध के दौरान युधिष्ठिर की सेना विजयी हुई।
रक्षा बंधन का भगवान कृष्ण और द्रौपदी से है नाता
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान कृष्ण की उंगली सुदर्शन चक्र से गलती से कट गई थी। यह देखकर द्रौपदी ने खून रोकने के लिए अपनी साड़ी से कपड़े का एक टुकड़ा फाड़कर चोट पर बांध दिया। भगवान कृष्ण उनके हाव-भाव से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने हमेशा उनकी रक्षा करने का वादा किया। उन्होंने यह वादा तब पूरा किया जब द्रौपदी को हस्तिनापुर के शाही दरबार में सार्वजनिक अपमान का सामना करना पड़ा।
पौराणिक कथाओं में बताया जाता है कि यमराज और यमुना भाई-बहन थे। यमुना मौत के देवता को अपना भाई मानती थीं, जिसके बाद उन्होंने यमराज की कलाई में रक्षा सूत्र बांधा था। इसके बदले में यमराज ने यमुना को अमर होने का वरदान दे दिया। प्राण हरने वाले देवता ने अपनी बहन को कभी न मरने का वरदान दिया, इसीलिए इस किस्से की चर्चा आज तक होती है। मान्यता है कि जो भाई रक्षा बंधन के दिन अपनी बहन से राखी बंधवाते हैं, यमराज उनकी रक्षा करते हैं।
रक्षा बंधन का महत्वरक्षा बंधन का त्यौहार भाई-बहन के प्यार व भाइयों द्वारा बहनों की रक्षा के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन बहनें, भाइयों को राखी बांधती हैं और उन्हें मिठाइयां खिलाती हैं। वहीं, भाई इस दिन बहनों की रक्षा का बचन देते हैं।
डिस्क्लेमर :यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। पोल खोल न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता