
अयोग्य विधायकों की पेंशन बंद करने का बिल पहुंचा राजभवन
पोल खोल न्यूज़ | शिमला
हिमाचल प्रदेश में दल-बदल के तहत अयोग्य पूर्व विधायकों की पेंशन-भत्ते बंद करने का विधेयक राजभवन पहुंच गया है। फरवरी माह में बजट सत्र में छाए सियासी संकट के बाद मानसून सत्र में सरकार ने विधेयक पास किया है। कानून बनने के बाद पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा और देवेंद्र भुट्टाे की विधायक पेंशन और भत्ते बंद हो जाएंगे। सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, आईडी लखनपाल, रवि ठाकुर के पूर्व कार्यकाल की भी पेंशन में गणना नहीं होगी। राज्यपाल के पास कई अन्य विधेयक लंबित होने के चलते इस विधेयक के पास होने पर भी संकट बना है।
ये भी पढ़ें : कुल्लू दशहरा में इस बार 20 अंतरराष्ट्रीय दल जमाएंगे रंग, जाने कब से कब तक होगा आयोजन
इस विधेयक के तहत पेंशन अधिकार से वंचित होने वाले कांग्रेस के पूर्व विधायकों से पिछली रकम की वसूली का भी प्रावधान है। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल की मंजूरी मिलते ही हिमाचल ऐसा कानून बनाने वाला पहला राज्य बन जाएगा। संशोधित विधेयक में व्यवस्था है कि किसी बात के प्रतिकूल होते हुए भी कोई व्यक्ति अधिनियम के अंतर्गत पेंशन का हकदार नहीं होगा, यदि उसे संविधान की दसवीं अनुसूची के अधीन अयोग्य घोषित किया है।
यदि कोई व्यक्ति इस उपधारा के अधीन पेंशन के अधिकार से वंचित होता है तो उसकी ओर से पहले से ली पेंशन ऐसी रीति से वसूली जाएगी, जैसी निर्धारित होगी। लोकतंत्र प्रहरी बिल राजभवन में लंबित है। जयराम सरकार के समय लोकतंत्र प्रहरी सम्मान विधेयक 2021 पारित किया था। आपातकाल के समय जेल में रहने वाले नेताओं की 20 हजार और 12 हजार रुपये प्रति माह सम्मान राशि देने का प्रावधान किया था। सरकार बदलने पर लोकतंत्र प्रहरी सम्मान निरसन विधेयक पारित करने का प्रस्ताव सदन में रखा। भाजपा के हंगामे के बीच इसे पारित किया गया। फिर विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा था।
ये भी पढ़ें : Himachal : दिवाली के बाद 2800 पदों पर होगी जेबीटी, टीजीटी और सीएंडवी की भर्ती
वहीं, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को नौतोड़ भूमि मिलने का इंतजार भी लंबा हो गया है। नियम 1968 में 20 बीघा से कम भूमि वाले पात्रों को 20 बीघा सरकारी भूमि देने का प्रावधान है। वन संरक्षण अधिनियम का मामला राजभवन में है। जानकारियां इस बाबत उपलब्ध करवाई गई हैं। डेढ़ साल में कई बार राज्यपाल से मुलाकात की गई, लेकिन मंजूरी नहीं मिल पाई।
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में कुलपति की नियुक्ति का संशोधन विधेयक भी राष्ट्रपति भवन पहुंच गया है। सरकार की सहमति से ही कुलपति नियुक्त करने का विधानसभा सदन से पारित हुआ बिल राजभवन भेजा था। जिसे राजभवन ने राष्ट्रपति को भेजा है। मानसून सत्र के दौरान दोबारा सरकार ने संशोधन विधेयक पारित किया है। यह मामला भी विचाराधीन है।