
हमीरपुर: नगर निगम विस्तार के फैसले पर सीपीआई (एम) ने जताई आपत्ति
रजनीश शर्मा | हमीरपुर
हमीरपुर की नगर परिषद और छह पंचायतों को नगर निगम में शामिल करने के हालिया कैबिनेट निर्णय पर सीपीआई (एम) जिला कमेटी ने कड़ी आपत्ति जताई है। पार्टी ने मांग की है कि इस फैसले को लागू करने से पहले संबंधित पंचायतों में जनमत संग्रह कराया जाए।
सीपीआई (एम) के राज्य सचिवालय सदस्य और जिला सचिव प्रताप राणा ने जारी बयान में कहा कि यह निर्णय सीधे तौर पर पंचायतों के लोगों के जीवन, रोजगार और स्थानीय प्रशासन को प्रभावित करेगा। उन्होंने बताया कि बस्सी झन्यारा, बोहणी, ददूही अमरोह, और अन्य पंचायतों के प्रतिनिधि पहले ही जिला उपायुक्त के पास अपनी आपत्ति दर्ज करा चुके हैं।
प्रताप राणा ने बताया कि नगर निगम बनने पर संपत्ति कर और ग्रामीण शुल्क में बढ़ोतरी होगी, जिससे ग्रामीण जनता पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा। साथ ही, रोजगार के अवसर भी कम हो सकते हैं। उन्होंने मनरेगा योजना पर अनिश्चितता की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह योजना ग्रामीण गरीबों के रोजगार का मुख्य स्रोत है, लेकिन नगर निगम बनने के बाद इसका लाभ जारी रहेगा या नहीं, इस पर सरकार ने स्पष्टता नहीं दी है।
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सीपीआई (एम) का कहना है कि पंचायतें स्थानीय विकास और शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनके कमजोर होने से ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं की अनदेखी हो सकती है। साथ ही, नगर निगम के शहरी दृष्टिकोण से लिए गए फैसले ग्रामीण आवश्यकताओं को उपेक्षित कर सकते हैं।
सीपीआई (एम) जिला कमेटी ने सरकार से आग्रह किया है कि पंचायतों की जनभावनाओं का सम्मान करते हुए इस फैसले को लागू करने से पहले जनमत संग्रह कराया जाए। पार्टी जनता के अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।